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ठग सुकेश चंद्रशेखर का साथ देने वाले जेल अधिकारी सुभाष बत्रा को मिली एक सप्ताह की अंतरिम जमानत

ठग सुकेश चंद्रशेखर की मदद करने के आरोप में 5 जेल अधिकारी भी गिरफ्तार हुए थे, जो सुकेश को रैकेट चलाने के लिए जेल के अंदर से ही मदद कर रहे थे. इन जेल अधिकारियों में से एक सुभाष बत्रा को कोर्ट ने एक सप्ताह की अंतरिम जमानत दी है.

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Published : May 18, 2023, 6:43 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह की पत्नी अदिति सिंह से ठगी करने वाले सुकेश चंद्रशेखर की कथित तौर पर मदद करने के आरोप में जेल के पांच वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. इनमें से सुभाष बत्रा भी एक आरोपी है, जिन्होंने अपने वकील के माध्यम से 15 दिनों की अंतरिम जमानत का आवेदन दिया, जिसको दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने स्वीकार कर एक सप्ताह की अंतरिम जमानत दी है.

पिछले साल अगस्त में अदिति ने दिल्ली पुलिस में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करने वाले और अपने पति के मामलों में मदद करने का वादा करके उनसे 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई. रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड को कथित तौर पर 2,397 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप में ईओडब्ल्यू ने उनके पति और देवर को अक्टूबर 2019 में गिरफ्तार किया था.

इस मामले में चंद्रशेखर को उनके साथियों के साथ रोहिणी जेल से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने जेल के अंदर से जबरन वसूली रैकेट चलाने में मदद करने के आरोप में दो जेल अधिकारियों व उप अधीक्षक सुभाष बत्रा और सहायक जेल अधीक्षक धरम सिंह मीणा को भी गिरफ्तार किया था. चंद्रशेखर उनके वकील बी मोहन राज, अभिनेत्री लीना पॉल, उनके मैनेजर जोएल जोस मैथ्यूज, कमलेश कोठारी और अरुण मुथु पर महाराष्ट्र नियंत्रण के कड़े आरोप लगाए गए हैं. संगठित अपराध अधिनियम (मकोका) में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जबरन वसूली मामले में अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस और नोरा फतेही के बयान भी दर्ज किए है.

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जांच के दौरान ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने पाया कि सहायक जेल अधीक्षक मीणा मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं. मीणा को गिरफ्तार करने के बाद हम सीसीटीवी, फोन रिकॉर्ड और अन्य तकनीकी सबूतों की जांच कर रहे थे. तब हमने पाया कि वह कथित रूप से जबरन वसूली का रैकेट जेल से ही चलाया जा रहा था और जेल के कई अधिकारी इसमें शामिल थे. इन अधिकारियों को नियमित रूप से चंद्रशेखर के साथ बातचीत करते भी देखा गया था. तब जांच टीम ने पाया कि उन्हें भी चंद्रशेखर के सहयोगियों से पैसे मिले थे.

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