दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

किसी फ्लैट खरीदार को बिल्डर द्वारा कब्जे के लिए अनिश्चितकाल तक इंतजार करवाना गलत: NCDRC - delhi latest news

दिल्ली में फ्लैट खरीदार को फ्लैट की कथित देर से डिलीवरी करने के एक मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की पीठ ने सुनवाई की है. पीठ ने कहा कि किसी फ्लैट खरीदार को बिल्डर द्वारा कब्जे के लिए अनिश्चित काल तक इंतजार करवाना गलत है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : May 11, 2023, 5:12 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की पीठ ने बिल्डर द्वारा फ्लैट खरीदार को फ्लैट की कथित देर से डिलीवरी से संबंधित एक मामले पर निर्णय दिया है. उन्होंने कहा कि फायर विभाग द्वारा दी जाने वाली एनओसी प्रक्रिया और पिछले ठेकेदार के साथ किए गए करार को समाप्त करने की बेवजह देरी एक फ्लैट अपार्टमेंट परियोजना को पूरा करने में देरी का कोई वैध कारण नहीं है.

मामले में पीठ ने दोहराया कि किसी भी कार्य की प्रतीक्षा अवधि उचित होनी चाहिए और खरीदार को अनिश्चित काल के लिए फ्लैट बुक यूनिट के कब्जे के लिए इंतजार नहीं कराया जा सकता है. वर्ष 2016 में शिकायतकर्ताओं ने गुड़गांव, हरियाणा में एमराल्ड एस्टेट में एमराल्ड फ्लोर्स प्रीमियर नामक परियोजना में एक आवासीय तल खरीदने के लिए बुक किया था. जिसकी कुल लागत राशि 8255642 रुपये थी. खरीददार अनुबंधों के मुताबिक फ्लोर को 3 वर्ष के अंदर हैंडओवर किया जाना था, लेकिन बिल्डर अपनी शर्तों को पूरा करने में नाकाम रहे.

इस मामले में शिकायतकर्ता द्वारा रियर और फ्रंट लॉन के साथ टाइप ए ग्राउंड फ्लोर संपत्ति के लिए अधिमान्य स्थान शुल्क का भुगतान किया गया था, लेकिन लॉन का लेआउट उन्हें मुआवजा दिए बिना बदल दिया गया था. बिल्डर ने देरी के लिए क्षतिपूर्ति किए बिना मनमाने ढंग से और अनुचित रूप से कब्जे के प्रस्ताव की सूचना जारी की है.

शिकायतकर्ताओं ने अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज की और उचित राहत की मांग की. साथ ही बिल्डर ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ताओं को शिकायत दर्ज करने के लिए लोकस स्टैंडी की कमी है, क्योंकि डेवलपर द्वारा सेवा में कोई कमी या समझौते के नियमों और शर्तों का उल्लंघन नहीं किया गया था. प्रतिवादी ने आगे दावा किया कि बिल्डर को परेशान करने के लिए शिकायत दर्ज की गई थी और अधिकांश शिकायतकर्ताओं ने पहले ही कब्जा प्राप्त कर लिया था. बिल्डर ने आगे तर्क दिया कि परियोजना को पूरा करने में देरी अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण हुई थी.

यह भी दावा किया कि विपक्षी पार्टी ने 13 फरवरी 2020 के कब्जे के प्रस्ताव पत्र के माध्यम से शिकायतकर्ताओं को कब्जे की पेशकश की थी. बिल्डर ने दलील दी कि यूनिट का निर्माण स्वीकृत साइट नक्शे के प्लान के अनुसार किया गया था और शिकायतकर्ताओं को सूचित करते हुए आर्किटेक्ट या इंजीनियर की सलाह पर कोई भी बदलाव या संशोधन किया गया था. कब्जे की पेशकश के बावजूद शिकायतकर्ता इसे लेने के लिए आगे नहीं आए, इसलिए बिल्डर ने अपनी सफाई में कहा कि इस गलती के लिए शिकायतकर्ता किसी भी राहत के हकदार नहीं हैं.

ये भी पढ़ें:गाजियाबाद: प्रत्याशी के लिए शराब बांटते पकड़े गए पुलिसकर्मी, सस्पेंड

समझौते के खंड 11 बी के अनुसार कब्जे की तारीख के विस्तार की अनुमति दी गई थी और समय आवश्यक नहीं था. आयोग ने इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र भी किया. कोलकाता वेस्ट इंटरनेशनल सिटी प्रा लिमिटेड बनाम देवासी रुद्र 2019 जिसमें यह माना गया था कि शिकायतकर्ता को बुक की गई इकाई के कब्जे के लिए अनिश्चित काल तक प्रतीक्षा करने के लिए नहीं बनाया जा सकता है.

फैसले के आधार पर आयोग ने कहा कि समझौते पर 2010 में हस्ताक्षर किए गए थे और 2020 में 10 साल बाद कब्जे की पेशकश की गई थी. एनसीडीआरसी ने माना कि इस तरह की देरी को उचित नहीं माना जा सकता है और इसलिए आयोग ने माना कि शिकायतकर्ता इस अनैतिक देरी की अवधि के लिए ब्याज मुआवजे के हकदार हैं और शिकायत को आंशिक रूप से कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया गया है और बिल्डर को निर्णय की तारीख से 6 सप्ताह के भीतर शिकायतकर्ताओं को अपार्टमेंट का कब्जा सौंपने का निर्देश दिया गया है.

ये भी पढ़ें:रोहिणी सेक्टर 2 के पोल स्टार स्कूल में चार साल की मासूम के साथ शख्स ने की छेड़छाड़

ABOUT THE AUTHOR

...view details