नई दिल्ली : ट्रेन का ड्राइवर (लोको-पायलट) ट्रेन चलाते समय कहीं फोन का तो इस्तेमाल नहीं कर रहा है. इस पर अब करीब से नजर रखी जाएगी. अगले 15 दिन सिग्नल पासिंग एट डेंजर (स्पाड) के तहत दिल्ली मंडल के वरिष्ठ अधिकारी ट्रेनों के इंजन में जाकर लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट के साथ सफर करेंगे.
ट्रेन के ड्राइवर पर रखी जाएगी अब नजर मोबाइल फोन के इस्तेमाल के अलावा यहां इस बात पर खासा ध्यान दिया जाएगा कि परिचालन के दौरान किसी नियम का तो उल्लंघन नहीं हो रहा.
एक विशेष ड्राइव चलाई जा रही है
दिल्ली मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली मंडल रेल प्रबंधक एससी जैन के आदेशानुसार 29 अगस्त से 12 सितंबर तक एक विशेष ड्राइव चलाई जा रही है. इस ड्राइव में मंडल स्तर के अधिकारियों को रेल गाड़ियों के इंजन में जाकर सफर करना होगा. यहां पूरे सफर की विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
'22 बिंदू हैं जिनका यहां खास ध्यान रखना है'
अधिकारी ने बताया कि कई बार यह शिकायत मिलती है कि लोको पायलट ट्रेन चलाने के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं. ये लोग कई बार वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल कर सिग्नल के बारे में जानकारी भी ले लेते हैं जो खतरनाक साबित हो सकता है. लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट आपसी तालमेल भी तय नियमों के हिसाब से नहीं करते. उक्त बिंदुओं के अलावा ऐसे कुल 22 बिंदू हैं जिनका यहां खास ध्यान रखना है.
'रिपोर्ट कार्यालय में जमा होगी'
अधिकारी के मुताबिक मंडल के सेफ्टी ऑफिसर की तरफ से इस दिशा में एक पत्र जारी किया गया है, जिसके बिनाह पर ये पूरी ड्राइव चलनी है. गौर करने वाली बात है कि इसमें लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट की काउंसलिंग के अलावा उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने तक के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही इसमें यह साफ किया गया है कि 15 दिन की पूरी ड्राइव के बाद 16 सितंबर तक इसकी विस्तृत रिपोर्ट दिल्ली मंडल रेल प्रबंधक के कार्यालय में जमा होगी.
बता दें कि रेलवे में परिचालन संबंधी कई नियम होते हैं. जिनका पालन ऑपरेटिंग स्टाफ को करना होता है. इसमें लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट की जिम्मेदारी सबसे अहम होती है. बीते दिनों हुए हादसों और यात्री सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली मंडल अभी के समय में यह कदम उठा रहा है.