नई दिल्ली :छठ पूजा के साथ ही त्योहारी सीजन का समापन हो गया, लेकिन आज यानी शुक्रवार से शुरू हो रहे मांगलिक कार्यों को लेकर बाजारों में रौनक बनी हुई है. इसके अलावा वाटिकाओं में भी शादियों के सीजन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. इस साल सभी सरकारी पाबंदियों के खत्म होने के बाद पर्व-त्योहार और शादी-समारोह को लोग अब धूमधाम से मना पा रहे हैं. वहीं, शुक्रवार को देव उठानी एकादशी है, जिसका काफी ज्यादा महत्व होता है.
श्रीनिवास संस्कृत विद्यापीठ के आचार्य रमेश कौशिक के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव उठानी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इसे देवोत्थान एकादशी, हरि प्रबोधनी एकादशी और देव उठानी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं. इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस साल देवोत्थान एकादशी 4 नवंबर यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी.
उन्होंने कहा कि पूरा दिन किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा. शुक्रवार से ही आने वाले कई महीनों तक विवाह के साथ-साथ कई अन्य मंगल कार्यों के लिए तिथि भी अच्छी रहेंगी.
बता दें, पिछले दो साल से कोरोना की वजह से विवाह और कई तरह के मांगलिक कार्यों के सार्वजनिक कार्यक्रम पर रोक लगी थी. इसकी वजह से कई लोगों ने अपने कुछ कार्यों को रोक रखा था. पूजा पाठ कराने वाले पुजारी भी आर्थिक दिक्कतों के दौर से गुजर रहे थे, लेकिन अब जब कोरोना कब खत्म हो गया है. अब दोबारा सार्वजनिक तरीके से बिना किसी रोक-टोक के शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. इसकी तैयारियां भी लोगों ने शुरू कर दी है.
वहीं, शादी सीजन को लेकर वाटिका ओनर और संचालकों में काफी उत्साह है. इस बार ज्यादा आकर्षक तरीके से वाटिकाओं को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. इससे शादी के समय यहां आने वाले गेस्ट को एक नया और आकषर्क अनुभव मिल सके.
वाटिका संचालकों का कहना है कि नवंबर में 4 तारीख से शादियों का सीजन शुरू हो रहा है, जो लगातार अगले साल फरवरी तक चलेगा. लंबे सीजन को लेकर वो काफी उत्साहित हैं. इस बार अच्छा और ज्यादा काम मिलने की उम्मीद भी है. इस वजह से पूरे जोश से तैयारियों में जुटे हुए हैं.
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