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गर्मियों में महिलाओं की पसंद, अनस्टिच्ड मसलिन के कपड़े, चांदनी चौक के कटरा लेहस्वान में दिखेगी वेरायटी

अगर आप भी अनस्टिच्ड सूट्स सूट की शौकीन हैं और गर्मियों ने पहने जाने वाले आरामदायक और अच्छा देखने वाले फैब्रिक की तलाश कर रहे हैं, तो आप दिल्ली के प्राचीन मशहूर चांदनी चौक के कटार लेहस्वान के शॉपिंग कर सकते हैं. कटरा लेहस्वान में अनस्टिच्ड सूट की ढ़ेर सारी वैरायटी मिलती है.

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Published : Jun 8, 2023, 1:22 PM IST

Updated : Jun 8, 2023, 2:35 PM IST

गर्मियों में महिलाओं की पसंद, अनस्टिच्ड मसलिन के कपड़े

नई दिल्लीःइन दिनोंबाजार में युवतियों और महिलाओं के लिए डिजाइनर कपड़ों की भरमार है. लॉन्ग ड्रेस, रेडीमेड सूट, कुर्ती, टॉप वन पीस, डांगरी आदि की ट्रेंडिंग चलन में है. लेकिन आज कुछ लेडीज और लड़कियां अनस्टिच्ड सूट्स को पहनना पसंद करती हैं. महिलाएं अनस्टिच्ड सूट्स को अपनी पसंद और डिजाइन के हिसाब से अपने टेलर से तैयार करवा सकती हैं. वहीं इसकी फिटिंग भी अपने हिसाब के करवाई जा सकती हैं.

अगर आप भी अनस्टिच्ड सूट्स सूट की शौकीन हैं और गर्मियों ने पहने जाने वाले आरामदायक और अच्छा देखने वाले फैब्रिक की तलाश कर रहे हैं, तो आप दिल्ली के प्राचीन मशहूर चांदनी चौक के कटार लेहस्वान के शॉपिंग कर सकते हैं. कटरा लेहस्वान में अनस्टिच्ड सूट की ढ़ेर सारी वैरायटी मिलती है. यहां 200 रुपए से लेकर 3000 रुपये तक के सूट बिकते हैं. कटरे में होलसेल और रिटेल प्राइस में सूट्स का कारोबार होता है. चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 5 के नजदीक कटरे में आवाजाही खूब रहती है. दुकानदारों और ग्राहकों को भी इसका लाभ मिलता है.

कटरा लेहस्वान कटरा कमिटी के प्रधान और सूट विक्रेता जिनेंद्र कुमार जैन ने बताया कि पहले गर्मियों में महिलाएं केवल कॉटन के सूट पहनना पसंद करती थी, जो बहुत आरामदायक होता है. वहीं अब मार्केट में कपड़ों की बहुत की वैरायटी आ गई है, जिनको गर्मियों में पहना जा सकता है. इसमें सब से ज्यादा चलन में है मस्लीन. इसके हजारों तरह की डिजाइन मार्किट में उपलब्ध है. अनस्टिच्ड सूटों में मस्लिन की प्राइस रेंज भी गृहणियों के लिए किफायती है.

उन्होंने बताया कि इस वक्त बाजार में अनस्टिच्ड मसलिन के सूट 1100 रुपए से लेकर 3000 रुपए की रेंज तक आसानी से मिल जाते हैं. वहीं इसे बिना अस्तर के भी बनवाया जा सकता है. इसकी एक और विशेष खासियत यह है कि कॉटन के सूटों की तरह इसमें सलवटें कम पड़ती हैं. एक बार इस्तरी करने के बाद पूरा दिन रॉयल लुक देता है. उन्होंने बताया कि इस समय महिलाएं सब से ज्यादा मसलिन के सूट खरीदना पसंद कर रही हैं। लिहाजा मसलिन कॉटन के मुकाबले में कई गुना अच्छा माना जाता है.

एक जैसे दो सूट मिलना नामुमकिन
जैनेंद्र ने बताया कि कटरा लेहस्वान में सारा माल सूरत और बॉम्बे से आता है. वहीं से सूट में जरी, कढ़ाई और धागे का काम होकर आता है. उन्होंने बताया कि बाजार में मसलिन सूट की एक जैसी कॉपी मिलना बहुत मुश्किल है.

कटरा लेहस्वान की खासियत
इस कटरे में प्रत्येक दुकान पर अलग वैरायटी के सूट मिलते हैं. शादी-ब्याह और तीज-त्योहारों के दौरान बाजार में रौनक बढ़ जाती है. किसी जमाने में कटरे में कतरन मिला करती थी. दूर-दूर से कटपीस के खरीदार आते थे. बाद में मिल बंद होने से काम रूक गया. वर्तमान ने इस कटरे में 12 महीने गर्मी और सर्दी में सूटों की अच्छी बिक्री होती है. यहां मौजूद हर दुकान की अलग खासियत है. जैसे जिस दुकान पर कढ़ाई वर्क के सूट मिलते हैं, तो वहां जरी के काम वाले सूट नहीं मिलेंगे. उसके लिए आप को दूसरी दुकान की तलाश करनी होगी.

वहीं फिल्मी अभिनेत्रियों द्वारा पहने जाने वाले डिजाइनर सूट आसानी से मिल जाते हैं. यहां दुकानों पर प्रिंट, जरी, क्रॉपटॉप, नायरा कट, आलिया कट, रेडिमेड सूट मिलते हैं. हिट फिल्मों की हिरोइन द्वारा पहने जाने वाले सूट अधिक बिकते हैं. यहां कभी बंटी और बबली के सूट जमकर बिके थे.

क्या है कटरा लेहस्वान का इतिहास
कटरा लेहस्वान कटरा कमिटी के सदस्य भरत जैन ने बताया कि 1930 से पहले कटरा लेहस्वान में रिहायश था. बाद में ऊपर रिहायश और नीचे दुकानें बनीं. 1940 तक आते-आते दुकानों की संख्या बढ़ने लगी. आजादी के पहले से ही कटरे में कारोबार होने लगा. पहले यहां तौल का कपड़ा मिलता था. इसे कटपीस भी कहते हैं. हिन्दुस्तान की तमाम बड़ी मिल का माल कटरे में आता था. आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों के कपड़े कटपीस से तैयार होते थे. रैक्स और फेंट जैसे कपड़े पर ड्यूटी भी नहीं लगती. यह सस्ता होता था. आराम से बिक जाता था. अब मिलें बंद हो गई हैं. 10-15 साल से कतरनों का कारोबार बंद हो गया है. अब पावरलूम उद्योग इकाइयां देशभर में लग गई हैं. इसमें ग्रेडेशन नहीं होता है. करीब 100 मीटर का लंप आता है. कटरे में लंप के दुकानदार भी कम हैं. अब कटरा लेहस्वान में अनस्टिच्ड सूट की बिक्री अधिक होती है.

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मुगलों के जमाने में यहां चबूतरे के पास लेहस्वा का पेड़ था. लहस्वान का अचार भी बनता है, जिसे लसौड़ा भी कहते हैं. इसी पेड़ की वजह से कटरे का नाम लहस्वान पड़ा है. पुराने समय में चांदनी चौक के इस कटरे में कारोबारी आकर आराम करते थे. यहीं नहाकर फ्रैश होते थे. खाना-पीना करके तब खरीदारी करते थे. वक्त के साथ रिहायश खत्म होती गई. धीरे-धीरे दुकानें बढ़ती गईं. आज कटरे में 3-4 परिवार ही रहते हैं. अब कटरा लेहस्वान में 150 से 200 दुकानदार हैं. लेडिज सूट, गाउन, कुर्ती, टॉप, अनस्ट्रीच सूट और प्लेन कपड़े के लिए कटरा मशहूर है.

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Last Updated : Jun 8, 2023, 2:35 PM IST

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