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यमुना किनारे बसे दिल्ली के इन गांवों में ना सफाई, ना सुरक्षा...ना विकास...अब नई सरकार से आस - HARSHIT MISHRA

यमुना किनारे बसे गांव में रहने वाले लोग नमामि गंगे की तर्ज पर नमामि यमुना अभियान चलाए जाने की मांग कर रहे हैं. यमुना किनारे गंदगी के अंबार से लोगों का जीना दुश्वार हो चुका है, इलाके के लोगों के मुताबिक सुरक्षा का भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है.

यमुना किनारे बसे दिल्ली के इन गांवों में ना सफाई, ना सुरक्षा...ना विकास...अब नई सरकार से आस

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Published : May 1, 2019, 7:06 PM IST

Updated : May 1, 2019, 11:14 PM IST

नई दिल्ली: यमुना किनारे बसे गांव आज भी विकास की राह ताक रहे हैं, लोग हर चुनाव से पहले नेताओं के वादे सुन-सुन कर थक चुके हैं, लेकिन बदहाली जस की तस मुंह बाए खड़ी है. इलाके के लोगों के मुताबिक यमुना की दशा दिनों दिन खराब हो रही है लेकिन किसी का ध्यान इस तरफ नहीं है.

नमामि यमुना अभियान की मांग

यमुना किनारे बसे गांव में रहने वाले लोग नमामि गंगे की तर्ज पर नमामि यमुना अभियान चलाए जाने की मांग कर रहे हैं. यमुना किनारे गंदगी के अंबार से लोगों का जीना दुश्वार हो चुका है, इलाके के लोगों के मुताबिक सुरक्षा के भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है.

यमुना किनारे बसे गांवों में फैल रही है गंदगी

हरियाणा के पल्ला के रास्ते दिल्ली में एंट्री करने वाली यमुना नदी पुराना जगतपुर गांव आते-आते मैली हो जाती है. इलाके के लोग कहते हैं कि यमुना के पानी के साथ-साथ हमारी उम्मीदें भी मटमैली हो चुकी है.
यहां रहने वाले लोगों ने सरकारें, नेताओं और सांसदों को बदलते देखा है. वो बताते हैं कि हर इलेक्शन में नेता गांव के विकास और यमुना की सफाई की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन कई इलेक्शन निकल गए, कई नेता बदल गए, कई सांसद बदल गए, सब कुछ बदला पर नहीं बदले तो यहां के लोगों के हालात और यमुना की दशा.

काली हो चुकी है यमुना
यमुना हर दिन दूषित होती जा रही है और यमुना के किनारे बसे गांव के लोग अपने गांव के विकास कार्यों की राह देखते देखते थक चुके हैं. बुराड़ी, जगतपुर, वजीराबाद भी यमुना की तलहटी पर बसे हुए हैं. इन इलाकों में खेती करने वाले लोग पूरी तरह से यमुना के पानी पर निर्भर हैं. यहां सबसे बड़ी समस्या है यमुना किनारे लगे कूड़े के ढेर.

कई बार हुए हैं हादसे

लोगों के मुताबिक कई बार गर्मियों में यहां नहाने के लिए आने वाले युवक हादसों का शिकार हो गए हैं. यमुना में आकर नशा करने और हुड़दंग करने वालों को रोकने वाला कोई नहीं होता. यहां सालों से कोई भी सरकारी कर्मचारी सफाई करने नहीं आया है. गांव के लोग ही आपस में मिलजुल कर यमुना के किनारों की सफाई करते हैं.

यमुना किनारे लोग जलाते हैं कूड़ा

लोग यहां कूड़ा भी जला देते हैं. जिसके कारण आसपास के लोगों को सांस लेने में मुश्किल हो जाती है. बारिश के मौसम में इस इलाके में बाढ़ का खतरा भी बना रहता है. लोगों का कहना है कि वो एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो कम से कम यमुना की साफ-सफाई पर ध्यान दें.

Last Updated : May 1, 2019, 11:14 PM IST

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