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नवंबर में तीसरी बार दिल्ली में भूकंप, कोई नुकसान नहीं - सोहना फॉल्ट लाइन

दिल्ली-NCR में मंगलवार रात करीब साढ़े 9 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि, किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है. नवंबर में यह तीसरा झटका है. हालांकि, इससे पहले 12 नवंबर और 8 नवंबर को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसका केंद्र नेपाल में था.

मंगलवार
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Published : Nov 29, 2022, 10:05 PM IST

Updated : Nov 29, 2022, 10:27 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली में मंगलवार रात 9:30 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. रिएक्ट स्केल पर इसकी तीव्रता 2.5 दर्ज की गई है. भूकंप का केंद्र दिल्ली था. नवंबर में यह तीसरा मौका है जब दिल्ली में भूकंप आया है. इससे पहले 8 और 12 नवंबर को दिल्ली में भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किया था.

नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप जिनकी तीव्रता 4.0 से कम होती है उनसे नुकसान की संभावना बेहद कम होती है. चूंकि आज जो भूकंप आया है उसकी तीव्रता बहुत ही कम थी, इसलिए लोगों को पता नहीं चला. यह हल्की एडजेस्टमेंट का नतीजा है, जो खतरनाक नहीं होते. दिल्ली के आसपास ऐसी कोई फॉल्ट प्लेट नहीं है, जिस पर प्रेशर इस समय काफी ज्यादा हो. इसी वजह से इसे सिस्मिक जोन 4 में रखा गया है.

अधिक तीव्रता होने पर इन इलाकों में अधिक खतरा

दिल्ली तीन सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइंस पर स्थित है, इसमें सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन. इसके अलावा गुरुग्राम भी सात सबसे एक्टिव सिस्मिक फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जो दिल्ली के अलावा एनसीआर को भी सबसे खतरनाक एरिया बनाता है. अगर इनमें से कोई भी लाइन एक्टिव होता है तो इससे 7.5 की तीव्रता वाला भूकंप आने की आशंका है.

भूकंप क्यों आते हैं...

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है. इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग भी भूकंप की वजहें होती हैं.

जानें केंद्र और तीव्रता का मतलब...

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है, तो 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है कंपन भी कम होते जाते हैं.

Last Updated : Nov 29, 2022, 10:27 PM IST

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