नई दिल्ली:कोराना महामारी धीरे-धीरे कम हो गई है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव अभी भी बना हुआ है. इसका असर त्योहारों पर भी देखा जा रहा है. गणेश चतुर्थी को कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन गणेश की मूर्तियों की बिक्री बेहद कम हो रही है. जिसके चलते मूर्ति बनाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले मूर्तिकार मायूस हैं और उनके सामने भरण-पोषण का संकट है.
कोरोना की दूसरी लहर तो खत्म हो गई है लेकिन तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है. जिसके चलते लोग अभी भी डरे हुए हैं. वहीं सरकार की तरफ से भी त्योहारों को मनाने के लिए कोविड-19 गाइडलाइंस जारी की गई है. इस वजह से इस साल भी मूर्तिकारों का धंधा कमजोर होता दिखाई दे रहा है.
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10 सितंबर को गणेश चतुर्थी है, यानी सिर्फ एक हफ्ता ही रह गया है लेकिन मूर्तिकारों के पास अभी भी ग्राहक आने का सिलसिला शुरू नहीं हुआ है. आदर्श नगर इलाके में भी कई मूर्तिकार सालों से मूर्तियां बना रहे हैं. सड़क किनारे रहकर यह मूर्तिकार ऐसे त्योहारों का लंबे समय से इंतजार करते हैं. त्योहारों में बिक्री की उम्मीद में मूर्ताकारों ने कर्ज लेकर मूर्तियां तैयार तो कर दी लेकिन अब तक एक भी मूर्ति नहीं बिकी है.
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पिछले साल तक आदर्श नगर मेन रोड के किनारे 8 से 9 की संख्या में मूर्तिकार मूर्तियां बनाने का काम करते थे लेकिन अब यह व्यापार गिरता हुआ दिखाई दे रहा है. कोविड का असर है कि ग्राहक ना के बराबर आ रहे हैं और यही वजह है कि ज्यादातर मूर्तिकार अपने-अपने गांव वापस जा चुके हैं. पिछले साल भी कोविड-19 की वजह से मूर्तिकारों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था और लागत भी नहीं निकल पाई थी. अब इस बार भी यही हालत है, जिससे मूर्तिकारों को परिवार चलाना मुश्किल पड़ रहा है.
मूर्तिकार का कहना है कि आम समय में गणेश चतुर्थी के 10 दिन पहले मूर्तियों के आर्डर आने शुरू हो जाते थे लेकिन इस साल तो एक भी ग्राहक मूर्ति लेने के लिए नहीं आया है. हालांकि उन्होंने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है और लगातार मूर्तियां बनाने का काम जारी है, लेकिन मात्र दो ही परिवार इस रोड पर मूर्ति बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जो पहले सात से आठ की संख्या में हुआ करते थे.