नई दिल्ली: धान के अवशेष पराली के समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान पूसा ने दवाई को विकसित किया था. उसका पहला चरण दिल्ली के हिरणकी गांव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दवाई छिड़क कर किया गया था. आज 15 दिन बाद यहां पर कृषि वैज्ञानिकों की टीम पहुंची और खेत का निरीक्षण किया खेत में पाया गया कि पराली पूरी तरह गल चुकी है, उसका जैविक खाद बन चुका है. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इसके सैंपल भी लिए. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि खेत में रासायनिक खाद की भी कम जरूरत पड़ेगी और यह जैविक खाद काफी बेहतर रहेगा.
पूसा के वैज्ञानिकों ने हिरणकी पराली फील्ड का किया दौरा, लिया सैंपल - Scientists visit in Hiranki village
पूसा के वैज्ञानिकों ने हिरणकी गांव में उस पराली फील्ड का दौरा किया, जहां पंद्रह दिन पहले केजरीवाल ने दवा का छिड़काव किया था. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पराली पूरी तरह गल चुकी है और उसकी जैविक खाद बन गई है.
95 % परानी खाद में बदली
आसपास के जिन खेतों में दवाई नहीं छिड़की की गई थी. उनसे कई गुना अच्छा रिजल्ट यहां पर देखा गया. यहां पर 95% पराली खेत की मिट्टी के अंदर गल चुकी थी, उसका खाद बन चुका था. इसलिए वैज्ञानिकों का कहना है कि पराली को जलाए नहीं बल्कि दवाई का छिड़काव करें. इसके लिए मात्र 25 रुपये में 5 कैप्सूल आते हैं, जो 1 एकड़ में काम करते हैं. इससे काफी हद तक प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. अब देखने वाली बात होगी कि किसान कितनी ज्यादा संख्या में इस दवाई को अपनाते हैं और क्या सब जगह इसके इसी तरह के परिणाम आते हैं यह देखने वाली बात होगी.