नई दिल्ली: बाहरी दिल्ली के नरेला इलाके में एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी है. यहां पर दिल्ली ही नहीं पड़ोसी राज्य से भी किसान अपनी फसल बेचने के लिए आते हैं लेकिन नरेला मंडी समिति की ओर से न तो किसानों के लिए और न ही व्यापारियों के लिए किसी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं मंडी में दी गई हैं. सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले आसमान के नीचे किसानों की फसलें मंडी समिति की लापरवाही की वजह से खराब हो जाती हैं, जिसका खामियाजा किसानों और व्यापारियों को भुगतना पड़ता है.
मंडी समिति पर सुविधाएं ना देने का आरोप
ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर नरेला अनाज मंडी में व्यापारियों से बात की तो उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि सालों से नरेला अनाज मंडी में किसानों और व्यापारियों के लिए मंडी समिति की ओर से कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही. पिछले कई सालों से किसानों का माल खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है. सर्दी, गर्मी, बरसात हर तरह के मौसम की मार अनाज झेलता है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है, लेकिन मंडी समिति ने आज तक किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए किसी प्रकार के शेड की व्यवस्था नहीं की है.
शेड बनाने में भी लापरवाही
हाल ही में पिछले साल मंडी समिति ने 4 शेड जरूर बनाए, जिसमें एक शेड की क्षमता 4000 बोरी रखने की है, यानी चारों शेड में करीब 20 से 25 हजार बोरियां ही रखी जा सकती हैं. किसानों के विश्राम करने के लिए 2 किसान भवन की बिल्डिंग बनी हुई हैं, उनमें भी मौसम की मार पड़ने पर बोरियों को रखा जाता है.
अगर बात की जाए तो पूरी मंडी में कुल 6 शेड हैं, जिनमें करीब 30 से 35 हजार बोरियों को ही रखा जा सकता है. मंडी के किसानों का माल रखने के लिए करीब 30 से 35 हजार बोरियों की क्षमता है और किसान लाखो क्विंटल अपना माल लेकर आते हैं. जो बाहर पड़ा रहता है, जिसके खराब होने पर कोई खरीददार नहीं होता.