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नारी तू नारायणी : रोहिणी की रहने वाली दीपिका पिछले 12 सालों से बेजुबान जानवरों को परिवार की तरह करती हैं प्यार

नवरात्रि के 9 दिनों तक नारी शक्ति स्वरूपा की आराधना की जाएगी. ऐसे में हम दिल्ली की एक नारी तू नारायणी से मिलवा रहे हैं, जो पिछले 12 सालों से बेजुबानों की देखरेख कर रही हैं. आइए मिलते हैं दिल्ली की एनिमल लवर से (Delhi Animal Lover Deepika Khatri) से...

NARI TU NARAYNI
शारदीय नवरात्रि 2022

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Published : Oct 4, 2022, 4:33 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की भाग दौड़ भरी जिंदगी में जहां एक तरफ तो इंसान इंसान की मदद करने से भी कतराते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इंसान तो क्या बेजुबान जवानों के लिए भी दिन के कई घंटे निकालकर उनकी सेवा करते हैं, उनका ध्यान रखते हैं. अपने परिवार की तरह उनके साथ समय बिताते हैं. ऐसी ही एक महिला से आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने नारी तू नारायणी इस बात को बिल्कुल जीवंत रूप में उतार दिया है.

रोहिणी की रहने वाली दीपिका खत्री जो पिछले 12 सालों से रोहिणी सेक्टर 13, 14 और आसपास के इलाकों के स्ट्रीट डॉग, गाय और कई बेजुबान जानवरों के साथ समय बिताती हैं और उनके खाने का प्रबंध करने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर उन्हें उपचार और औषधि तक दिलाने का काम कर रही हैं. एक महिला होने के बावजूद भी वह अपने घर के कामकाज से समय निकालकर इन बेजुबानों के लिए खाने का और औषधि का इंतजाम कर रही हैं. इसके लिए इन्हें सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिल रही, बल्कि यह अपनी पॉकेट मनी और आसपास के कुछ लोगों के सहयोग से इस काम को करती हैं.

दिल्ली की एनिमल लवर दीपिका खत्री

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दीपिका जैसे ही अपने घर से नीचे उतरती हैं, स्ट्रीट डॉग उन्हें घेर लेते हैं. इसे प्यार और वफादारी ही कहा जाए जो अब इंसानों में कम होती जा रही है. दीपिका खत्री ने बताया कि जब उन्होंने बेजुबानों की सहायता करनी शुरू की तो उन्हें एक दिली शुकून मिलना भी शुरू हुआ. वह अपने घूमने-फिरने, दोस्तों से मिलने से ज्यादा समय इन बेजुबानों के साथ बिताती हैं. यदि किसी दिन किसी कारण से वह इनसे नहीं मिल पातीं तो वह अधूरापन महसूस करती हैं.

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रोहिणी इलाके के करीब 80 से ज्यादा स्ट्रीट डॉग और कई गाय जो सुबह और शाम के वक्त दीपिका का इंतजार करती हैं और उन्हें देखते ही यह बेजुबान उनसे मानो गले मिलने लगते हैं. दीपिका खत्री अपने आसपास के रहने वाले लोग और दोस्तों से भी अपील की कि वह ज्यादा से ज्यादा वीर जवानों की सहायता करें, उनके खाने का इंतजाम करें. जो समय ना निकाल सकें और खाने का भी इंतजाम ना कर सकें तो कम से कम अपने घर के बाहर किसी बर्तन में पानी रख दें जिससे इन जानवरों की प्यास बुझ सकेगी.

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स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने और पानी का इंतजाम करने के साथ-साथ समय-समय पर वैक्सीनेशन लगाना, उन्हें दवाई देना और उनके साथ समय बिताने को वह उतना ही जरूरी समझती हैं जितना अपने परिवार में अपनी शादीशुदा जिंदगी की जिम्मेदारी निभाना जरूरी है. यही वजह है कि शायद ही कोई एक दिन ऐसा है जब वह इन बेजुबानों से नहीं मिलतीं. वह इन्हें स्ट्रीट डॉग या फिर गाय नहीं बल्कि बच्चा कह कर बुलाती हैं. क्योंकि यह बेजुबान दीपिका को बच्चों की तरह प्यारे हैं.

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