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खुद को बाल लेखिका ही मानती हूं : नासिरा शर्मा

दिल्ली के मंडी हाउस के पास साहित्य अकादमी (Sahitya Akademi) द्वारा आयोजित ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले में प्रख्यात लेखिका नासिरा शर्मा (Writer Nasira Sharma) ने शिरकत की. उन्होंने कहा कि इस तरह के पुस्तक मेलों के आयोजनों से ही हम बच्चों और युवाओं को जरूरी संस्कार दे सकते हैं.

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Published : Nov 12, 2022, 7:47 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के मंडी हाउस के पास साहित्य अकादमी (Sahitya Akademi) द्वारा ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले का आयोजन किया गया. इसमें प्रख्यात लेखिका नासिरा शर्मा (Writer Nasira Sharma) ने शिरकत की. उन्होंने कहा कि इस तरह के पुस्तक मेलों के आयोजनों से ही हम बच्चों और युवाओं को जरूरी संस्कार दे सकते हैं. ‘बाल साहित्य’ की थीम पर केंद्रित इस पुस्तक मेले के लिए साहित्य अकादमी को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि मैं खुद को बाल लेखिका ही मानती हूं और बच्चों के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है. मैंने अपना लेखन बाल लेखन से ही शुरू किया था.

उन्होंने कहा कि मैं बच्चों से एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि आप अपनी पढ़ाई में कितने भी व्यस्त हों लेकिन अपने आस-पास के परिवेश, प्रकृति और पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा. उन्होंने बच्चों को अपने मोबाइल फोन और इंटरनेट को कम समय देकर अपने गांव और देश को समझने की अधिक कोशिश करने पर बल दिया.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होगाःराज्यसभा सांसद सत्यनारायण जटिया ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव अपने आप में विशिष्ट इसलिए है क्योंकि स्वतंत्रता स्वयं में एक महत्त्वपूर्ण जीवन मूल्य है. उन्होंने बच्चों को पिछले इतिहास और क्रांतिकारियों से सीखने की अपील करते हुए कहा कि बच्चे ही इस राष्ट्र की नींव को और मजबूत करेंगे. उन्होंने अपनी स्वरचित बाल कविता भी प्रस्तुत की.

संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव उमा नंदूरी ने कहा कि पूरे देश में हर 15 मिनट के अंतराल में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत एक कार्यक्रम हो रहा है और यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित यह कहीं न कहीं देश में एक सांस्कृतिक बदलाव लाने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा है. उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे अपना समय बचाकर अपने माता-पिता से संवाद करें और उन्होंने अभिभावकों से भी अपील की कि वे भी अपने बच्चों से संवाद करें क्योंकि यही स्वस्थ विकास का आधार है.

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साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि आजादी को हमतक पहुंचाने में लेखकों का बड़ा हाथ है, क्योंकि उनके लेखन को पढ़कर ही क्रांतिकारियों में जोश आया और उन्होंने आजादी की लड़ाई को घर-घर तक पहुंचा दिया था, इसलिए एक मायने में लेखक केवल लेखक नहीं बल्कि स्वतंत्रता सेनानी भी हैं. साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि इस ‘पुस्तकायन’ मेले के माध्यम से हम अधिक से अधिक पाठकों को इससे जोड़ना चाहते हैं, जिससे पुस्तक संस्कृति का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके.

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