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यहां होती है मैथिली रीति रिवाज से मां दुर्गा की पूजा, देखें भक्त कैसे करते हैं मां को 'प्रसन्न'

दिल्ली के किराड़ी इलाके में श्री मिथिला शारदीय दुर्गा पूजा समिति की ओर से भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया. जिसमें हजारों की संख्या में स्त्री पुरुष भक्तों ने पूरी रात मां दुर्गा के भजनों का आनंद लिया. मैथिली रीति रिवाज और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की गई.

मां दुर्गा पूजा

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Published : Oct 8, 2019, 1:43 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के किराड़ी इलाके में मैथिली रीति रिवाज से मां दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया. मिथिला के रीति-रिवाजों और संस्कृति को राजधानी दिल्ली में जीवित रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

देखें भक्त कैसे करते हैं मां को प्रसन्न!

इससे आने वाली पीढ़ी को उनके संस्कार और संस्कृति के बारे में सही तरीके से पता चल सके और वो अपने लोगों से और अपनी संस्कृति से जुड़े रहे.

सालों से की जाती है मैथिली रीति रिवाज से दुर्गा पूजा
श्री मिथिला शारदीय दुर्गा पूजा समिति की ओर से भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया. जिसमें हजारों की संख्या में स्त्री पुरुष भक्तों ने पूरी रात मां दुर्गा के भजनों का आनंद लिया. मैथिली रीति रिवाज और विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की गई.

मिथिला की संस्कृति में पूजा-अर्चना
किराड़ी इलाके में समिति की ओर से सन् 1991 से इंदर एनक्लेव में विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जो कि हर साल बढ़ता रहता है. माता रानी के इस मंदिर की दुर्गा पूजा में पूजा विधि का विशेष महत्व है. पूरे विधि-विधान के साथ मिथिला की संस्कृति में यहां पूजा-अर्चना की जाती है.

अग्रिम पंक्तियों में महिलाओं के बैठने की व्यवस्था
ये पूजा पूरी दिल्ली में प्रसिद्ध है हजारों की संख्या में यहां भक्तों पूरी-पूरी रात मां दुर्गा की भजन संध्या करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. अग्रिम पंक्तियों में पंडाल के अंदर महिलाओं के बैठने की व्यवस्था की जाती है. साथी पंडाल के पीछे और चारों तरफ पुरुषों के खड़े होने की व्यवस्था होती है. जहां पुरुष पूरी रात दुर्गा मैया के भजन सुनते हैं और मां दुर्गा की पूजा अर्चना में लीन हो जाते.

28 साल पहले की शुरुआत
सन् 1991 में बिहार से आए हुए लोगों ने ये श्री मिथिला शारदीय दुर्गा पूजा समिति बनाकर दुर्गा पूजा करने की शुरुआत की थी. इसका मूल उद्देश्य वैदिक तांत्रिक और आध्यात्मिक तो था ही, साथ ही साथ समाज को एकत्रित कर अपनी सभ्यता और संस्कृति को स्थापित करना और अक्षम करना भी था. ताकि आने वाली पीढ़ी मिथिला की संस्कृति और सभ्यता को भलीभांति समझ सके.

सुरक्षा के भी इंतजाम
यहां पर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं. जिससे भक्त सुरक्षित होकर दुर्गा पूजा का आनंद ले सकें और माता के भजनों में लीन होकर उनका अद्भुत दर्शन कर सकें.

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