नई दिल्ली: राजधानी में मंगलवार को तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या किए जाने के बाद लोगों में कई तरह के सवाल हैं. गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्फ गोगी की हत्या का बदला लेने के इरादे से कराई हत्या के बाद पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी कर लोगों को हिरासत में लेने के साथ गिरफ्तार भी किया है. लेकिन लोगों के मन में सवाल है कि दोनों के सरगनाओं की मौत के बाद, क्या ये खूनी खेल रुक जाएगा? आखिर क्या थी दोनों में में दुश्मनी की वजह. आइए जानते हैं..
बताया जाता है कि जितेंद्र मान उर्फ गोगी और सुनील उर्फ टिल्लू, कभी जिगरी यार हुआ करते थे. लेकिन दोनों में वर्चस्व की लड़ाई ऐसी छिड़ी की वे एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए. दरअसल, साल 2009 अलीपुर स्थित श्रद्धानंद कॉलेज में चुनावी सरगर्मियां चल रही थी. कॉलेज में अध्यक्ष पद के लिए अलीपुर के एक लड़के ने अपना दावा ठोंका, जिसका जितेंद्र मान उर्फ गोगी ने समर्थन किया.
वहीं दूसरी तरफ सुनील उर्फ टिल्लू के एक रिश्तेदार ने भी अध्यक्ष पद के लिए ही अपना दावा पेश किया. टिल्लू के साथियों ने गोगी के गांव यानी अलीपुर के फर्स्ट ईयर के छात्र अरुण उर्फ कमांडो की पिटाई कर दी, जिसके बाद उसने अपना नाम वापस ले लिया और टिल्लू का रिश्तेदार ने चुनाव जीत लिया. तभी से गोगी और टिल्लू के रास्ते अलग हो गए.
पढ़ाई के दौरान बनाई गैंगः 2010 में ग्रेजुएशन करते हुए ही गोगी ने अपना एक गैंग बना लिया था और इसी साल उसने विरोधी गुट के संदीप और रविंद्र पर गोलियां भी चलाई थी. यह दोनों सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया के करीबी थे. मामले में मुकदमा दर्ज हुआ, जहां गोगी के साथ-साथ अरुण, रवि, दीपक, कुणाल मान और सुनील मान पर मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन यहां तक तो सिर्फ कॉलेज की लड़ाई ही चल रही थी. इन दोनों के बीच वर्चस्व की जंग का असल में साल 2015 में शुरु हुई.
पुलिस के आला अधिकारियों के अनुसार, गोगी की दूर की बहन का अफेयर करीब पिछले 5 सालों से ताजपुर के दीपक उर्फ राजू से चल रहा था. साल 2015 में गोगी ने दीपक की हत्या कर दी जो टिल्लू का बेहद करीबी था. इस हत्याकांड में योगेश कुंडा, कुलदीप फज्जा, दिनेश रोहित और जनरल उर्फ जेली को स्पेशल सेल की टीम ने गिरफ्तार किया था.
गोगी को कस्टडी से छुड़ायाः वहीं, दूसरी तरफ टिल्लू ताजपुरिया गैंग ने पलटवार करते हुए गोगी के कॉलेज के साथी अरुण उर्फ कमांडो और मनजीत को फरवरी 2015 में मौत के घाट उतार दिया. कमांडो की हत्या के मामले में निरंजन मास्टर गवाह था, जिसे सोनीपत, मुरथल में मरवा दिया गया. इसके बाद गोगी ने बदला लेते हुए टिल्लू के करीबी सुमित की हत्या कर दी, जिसके बाद से दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए. 2016 में टिल्लू को पुलिस ने पकड़ लिया. वहीं गोगी को 30 जुलाई 2016 में पुलिस कस्टडी से छुड़ा लिया गया. इसके बाद तो मानो गोगी जुर्म की दुनिया का दूसरा नाम बन गया और उसने जेल से छूटने के बाद कोहराम मचा दिया. इस गैंगवार में दोनों तरफ से की गई एक के बाद एक लगातार हत्याओं से पूरा जिला थरथरा उठा.
दोनों की दुश्मनी में गिरती रही लाशेंः सबसे पहले टिल्लू के करीबी विकास आलू के भाई सुमित और देवेंद्र प्रधान की हत्या कर दी गई. इसके बाद नवंबर 2017 में स्वरूप नगर में ताजपुर के एक दीपक बालियान को मौत के घाट उतारा गया और साल 2018 में प्रशांत विहार में अलीपुर के रवि भारद्वाज उर्फ बंटी को गोलियों से भून दिया गया. वहीं जून 2018 में टिल्लू के 4 गुर्गों को दिनदहाड़े गोली मारी गई, जिसमें गोगी खुद भी शामिल था. इसपर नरेला में आप नेता वीरेंद्र कुमार उर्फ काला कि अक्टूबर 2019 में हत्या कर दी गई, जिसे 26 गोलियां मारी गई. वहीं रोहिणी में 19 फरवरी 2020 को पवन अंचल पर 50 राउंड फायरिंग हुई.
विरोधी हुए एकजुटः इसके बाद गोगी को मार्च 2020 में स्पेशल सेल द्वारा गुड़गांव से गिरफ्तार कर लिया गया. उसी के साथ-साथ कुलदीप फज्जा और रोहित भी पकड़े गए. लेकिन गैंग का काम अभी भी चल रहा था, जिस ने जुलाई 2020 में खेड़ा खुर्द गांव में रवि को मौत के घाट उतार दिया जो प्रशांत विहार थाने में हुए हत्याकांड का गवाह था और तिहाड़ में गोगी की शिनाख्त करने भी गया था. वहीं टिल्लू ताजपुरिया गैंग ने 31 जुलाई 2021 को गोगी गैंग के प्रवेश के भाई नितेश की रोहिणी में हत्या कर दी. इस दौरान जितेंद्र उर्फ गोगी भी जेल में बंद था. तभी टिल्लू ताजपुरिया ने दिल्ली के एक और गैंगस्टर नीरज बवानिया से हाथ मिलाया और गोगी की खत्म करने की योजना बनाई.
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पूरी प्लानिंग के तहत 24 सितंबर को रोहिणी कोर्ट के अंदर जितेंद्र मान उर्फ गोगी को गोलियों से भून दिया गया. कोर्ट रूम के अंदर हुई इस हत्या में गैंग का सरगना गोगी खत्म हुआ, लेकिन गैंगवार का यह सिलसिला चलता रहा. गोगी मौत के बाद पूरा गैंग टिल्लू के खून का प्यासा हो गया. आखिरकार टिल्लू ताजपुरिया की भी तिहाड़ जेल के अंदर ही हत्या कर दी गई. अब तक दोनों गैंग के कई गुर्गे खत्म हो चुके हैं और दोनों गैंग के सरगना भी नहीं रहे. लेकिन लोगों में सवाल है कि क्या गैंगवार का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा.
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