नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा कि उसके कॉमन सर्विस सेंटर मॉक टेस्ट के लिए नहीं हैं और वहां केवल मुख्य परीक्षा ही आयोजित की जा सकती है. कॉमन सर्विस सेंटर इस्तेमाल करने वाले छात्रों की लिस्ट नहीं देने पर जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की आलोचना की. इस मामले पर अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी.
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कोर्ट में दी दलील ओपन बुक एग्जाम की अनुमति देने पर ही सुनवाई होगी
सुनवाई के दौरान उसने साफ किया 31 जुलाई को होने वाली सुनवाई सिर्फ इस मसले पर केंद्रित रहेगी कि ओपन बुक एग्जाम को आयोजित करने की अनुमति दी जाए कि नहीं. दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ एग्जामिनेशन प्रोफेसर विनय गुप्ता ने कहा कि प्रश्न पत्र सभी छात्रों के मेल पर भेज दिए जाएंगे. ईमेल का रजिस्ट्रेशन दिल्ली यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर करना होगा. अगर किसी छात्र को समस्या होती है तो वो अपने कॉलेज से बात कर सकता है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा कि क्या सभी कॉलेजों के संबंधित लोगों के फोन नंबर और ईमेल प्रकाशित कर दिए गए हैं. तब डिलीवर सिटी ने कहा कि सभी परीक्षाएं इनहाउस है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में सभी सुविधाएं मिलेंगी. यूनिवर्सिटी ने क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर की सेवा ले रखी है.
तकनीकी समस्याओं से निपटने के लिए कमेटी
कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा कि क्या आपने तकनीकी समस्याओं पर गौर करने के लिए कोई कमेटी का गठन किया है. तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि इसका गठन किया जाना बाकी है और इसमें कम से कम चार प्रोफेसर रहेंगे. तब कोर्ट ने पूछा कि इस समिति को छात्रों की तकनीकी समस्याओं का निराकरण करने में कितना समय लगेगा. तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि पांच दिन लगेंगे.
कॉमन सर्विस सेंटर को छात्रों की लिस्ट नहीं मिली
कॉमन सर्विस सेंटर की ओर से कहा गया कि तीन लाख साठ हजार कॉमन सर्विस सेंटर हैं. वहां पर कंप्यूटर, स्कैनर, इंटरनेट मौजूद हैं. कुछ सर्विस सेंटर पर पन्द्रह कंप्यूटर हैं. कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास छात्रों की सूची है. क्योंकि कई छात्र असम, केरल, तमिलनाडु राज्यों के हैं. कोर्ट ने कहा कि हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक दिल्ली से बाहर के 59 हजार छात्र हैं. कोर्ट के सवाल पर कि क्या आपके पास छात्रों की सूची है जो आप कॉमन सर्विस सेंटर को सौंप सकें. इस पर कॉमन सर्विस सेंटर ने कहा की कोई सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है पर कोर्ट नाराज हो गई. जस्टिस गुप्ता गुप्ता ने कहा इस तरह से कैसे कोर्ट चलेगा.
पिछले 24 जुलाई को हाईकोर्ट ने कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को नोटिस जारी कर पूछा था कि उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी में फाईनल ईयर आनलाइन परीक्षा की क्या तैयारी की है. हाईकोर्ट ने कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को निर्देश दिया था कि वो देशभर के कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी की स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा था कि उसने ग्रामीण इलाकों के उन छात्रों की मदद के लिए कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी को हायर किया है. जिनके पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. कॉमन सर्विस सेंटर एकेडमी और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मंत्रालय के बीच करार हुआ है. जिसके तहत वो उन छात्रों को डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराएगी. जिनके पास ये सुविधाएं नहीं हैं.
क्या परीक्षा में बहुविकल्पी प्रश्नों का विकल्प संभव है
पिछले 22 जुलाई को कोर्ट ने यूजीसी से पूछा था कि क्या फाइनल ईयर के छात्रों के लिए आयोजित होने वाली ऑनलाइन परीक्षा में बहुविकल्पी प्रश्नों का विकल्प संभव है. सुनवाई के दौरान यूजीसी ने कहा था कि पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर किसी को डिग्री नहीं दी जा सकती है.
समयबद्ध परीक्षा अव्यवहारिक है
कोर्ट ने कहा था कि समयबद्ध परीक्षा पूरे तरीके से अव्यवहारिक है. हम दिल्ली के बीचों बीच रहते हैं, क्या होगा जब बारिश होगी और न बिजली होगी और न इंटरनेट. दूसरे यूनिवर्सिटी कैसे कर रहे हैं. दो सौ यूनिवर्सिटी ने करीब-करीब परीक्षा खत्म कर ली है. तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा था कि हमेशा इंटरनेट की जरूरत नहीं होती है. आपको केवल डाउनलोड और अपलोड करने के लिए इंटरनेट की जरूरत होगी.