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दिल्ली हिंसा: 'गिरफ्तार लोगों के नाम हो जारी', कोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब

दिल्ली हिंसा में गिरफ्तार लोगों की सूची सार्वजनिक करने की मांग करने वाली सीपीएम नेता वृंदा करात की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दो दिन में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी.

HC directed central govt to reply on making delhi violence arrested people name public
दिल्ली हिंसा में गिरफ्तार लोगों के नाम सार्वजनिक करने पर कोर्ट ने मांगा जवाब

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Published : Jul 13, 2020, 3:15 PM IST

Updated : Jul 13, 2020, 10:35 PM IST

नई दिल्ली:उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो हिंसा के मामले में गिरफ्तार हुए लोगों की सूची सार्वजनिक करने की मांग करने वाली सीपीएम नेता वृंदा करात की याचिका का जवाब दो दिन में दाखिल करे. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 21 जुलाई को करने का आदेश दिया.

दिल्ली हिंसा में गिरफ्तार लोगों के नाम सार्वजनिक करने पर कोर्ट ने मांगा जवाब
अपराध प्रक्रिया संहिता का उल्लंघन


सुनवाई के दौरान वृंदा करात की ओर से कहा गया कि दिल्ली पुलिस ने हिंसा के मामले में गिरफ्तार हुए लोगों की सूची सार्वजनिक नहीं कर अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41सी का उल्लंघन किया है. वृंदा करात ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को जिन नामों को सीलबंद लिफाफा में दिया है, उन्हें उसकी प्रति याचिकाकर्ता को भी देनी चाहिए.

नहीं दाखिल कर पा रहे जमानत याचिका


वृंदा करात ने कहा कि गिरफ्तार लोगों के परिवार के सदस्यों को ये जानने का हक है कि उन्हें किस अपराध के मामले में गिरफ्तार किया गया है, ताकि वे कानूनी विकल्प आजमा सकें. दिल्ली पुलिस की गोपनीयता की वजह से गिरफ्तार लोगों के परिजन जमानत याचिका भी दाखिल नहीं कर पा रहे हैं.

वृंदा करात ने कहा कि पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए अधिकतर लोग रोड पर खड़े थे. पुलिस को गिरफ्तार लोगों के नाम सार्वजनिक करने चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस को सभी गिरफ्तार लोगों के नाम सार्वजनिक करने चाहिए. वृंदा करात की इस दलील के बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो दिनों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

एफआईआर संवेदनशील घोषित


पिछले 18 जून को दिल्ली पुलिस ने कहा था कि उन्होने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़ी सभी एफआईआर को संवेदनशील घोषित किया है. दिल्ली पुलिस ने वृंदा करात की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दंगों से जुड़ी एफआईआर को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए किया गया है क्योंकि उन एफआईआर में शिकायतकर्ताओं और गवाहों के नाम है. हालांकि इससे आरोपियों के अधिकारों का कोई हनन नहीं होगा. आरोपियों को एफआईआर की प्रति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के बताए दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है.

जांच पर असर पड़ने की आशंका


दिल्ली पुलिस ने कहा है कि याचिका में जिन दस्तावेजों की मांग की गई है, उन्हें नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इससे जांच पर असर पड़ सकता है. लेकिन जब एफआईआर से संबंधित चार्जशीट दाखिल कर दी जाती है, तो उन दस्तावेजों की पूरी प्रति आरोपियों को मुफ्त में दी जाती है. सभी मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों को अपराध प्रक्रिया संहिता के तहत जज के सामने पेश किया जाता है. हर मामले में आरोपी को कानूनी सहायता दी जाती है.

सूची सार्वजनिक करने की मांग

सीपीएम नेता वृंदा करात ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में गिरफ्तार हुए लोगों की सूची सार्वजनिक करने की मांग की है. करात ने पहले याचिका दायर कर मांग की थी कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों के मामले में गिरफ्तार लोगों की सूची पुलिस कंट्रोल रुम और पुलिस थाने के बाहर सार्वजनिक रूप से लगाई जाए.

इस सूची को हर केस के आधार पर अपडेट किया जाए. याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि जांच धीमी नहीं होनी चाहिए और गिरफ्तारियां जारी रखनी चाहिए. इसकी वजह से लॉकडाउन के पहले दो सप्ताह में करीब पचास लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

परिजनों को नहीं मिलने दिया जा रहा


याचिका में कहा गया है कि जांच के दौरान लोगों को उनके परिवार वालों से मिलने नहीं दिया जा रहा है और पुलिस गिरफ्तार लोगों की पूरी जानकारी भी नहीं दे रही है. याचिका में एफआईआर, हिरासत के लिए अर्जी, हिरासत संबंधी कोर्ट का आदेश, गिरफ्तारी की वजह और चार्जशीट की कॉपी इत्यादि ई-मेल, व्हाट्सऐप या पोस्ट के जरिए आरोपियों के परिवारों को उपलब्ध कराने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि 24 मार्च के बाद से लेकर लॉकडाउन तक दंगों को लेकर पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या और उनके नाम का खुलासा होना चाहिए.

Last Updated : Jul 13, 2020, 10:35 PM IST

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