नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में खेती दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है. वजह कई हैं, लेकिन इसमें मुख्य वजह किसानों को हो रहे हर साल नुकसान को बताया जा रहा है. दरअसल पिछले साल और इस साल भी किसानों को भारी नुकसान हुआ है. अगर इस साल की बात करें तो पहले दो बार हरियाणा से यमुना में पानी छोड़ा गया, जिसके कारण यमुना किनारे खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ और उन्होंने जो फसलें लगाई थी, वह पूरी तरीके से नष्ट हो गई. (Farmers facing losses forced to leave farming)
बुराड़ी के इन किसानों ने जैसे-तैसे हिम्मत जुटाई और दोबारा से खेती की तैयारी शुरू की लेकिन पिछले चार दिन से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी. इस दौरान फसल भी इस बारिश के कारण बर्बाद हो गई. खास तौर पर जो धान बिल्कुल तैयार हो चुका था और कटने की कगार पर था. वह इस बारिश की वजह से बर्बाद हुआ और किसानों का लाखों का नुकसान हो गया. राजधानी दिल्ली में इन्हीं नुकसान की वजह से किसान अब खेती छोड़कर अपनी जमीन पर क्रिकेट स्टेडियम, फुटबॉल स्टेडियम और पार्टी लॉन बनाने लग गए हैं क्योंकि इसमें लागत कम होती है और कमाई खेती से ज्यादा होती है.
नुकसान की मार झेल रहे किसान खेती छोड़ने को मजबूर किसानों की इस गतिविधियों को भविष्य के लिए बड़ा संकट भी माना जा रहा है, क्योंकि अगर ऐसे ही किसान खेती करना छोड़ते रहेंगे और स्टेडियमों में अपनी जमीन को तब्दील करते रहेंगे तो पैदावार कम होगी. ना तो अनाज पूरी मात्रा में हो पाएगा और ना ही सब्जी की पर्याप्त उपज हो सकेगी. किसानों द्वारा खेती करने के लिए लाखों के बीज बोए जाते हैं. कई दिन की मेहनत होती है. साथ ही साथ कई मजदूरों को खेतों में काम के लिए लगाया जाता है. इतना सब करने के बाद भी हर साल किसान कुदरत की मार झेलते हैं. ऐसे में एक सहारा बचता है सरकार द्वारा मिलने वाला मुआवजा का. लेकिन वह भी कई सालों से किसानों को नहीं मिल पा रहा है.
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दिल्ली में तो ज्यादातर किसानों को किसानी का दर्जा तक नहीं मिला है तो मुआवजा तो खुली आंखों से सपना देखने वाली बात होगी. इसके कारण किसानों पर आर्थिक संकट मंडराता रहता है. लेकिन अब किसानों द्वारा आर्थिक नुकसान से बचने के लिए एक नया रास्ता अख्तियार किया जा रहा है, जो नुकसान की मार झेल रहे किसान के लिए तो फायदेमंद है, लेकिन आम जनता के लिए भविष्य में खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है. किसान अपनी खेती की जमीन पर खेती करने की बजाय जमीनों को फुटबॉल स्टेडियम और क्रिकेट स्टेडियम में तब्दील करते जा रहे हैं, जिसके कारण आम जनता के लिए खाद्य पदार्थों की भी भविष्य में दिक्कतें आ सकती हैं जो की चिंता का विषय है.