नई दिल्ली: हरियाणा की मुनक नहर से दिल्ली को पानी न मिलने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मनोहर सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट इस बात पर नाराज है कि आखिर उसके आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज इंदर मीत कौर की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया है. कोर्ट ने इस कमेटी को 20 मई तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
हाइकोर्ट ने हरियाणा और दिल्ली सरकार के संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर पानी की आपूर्ति नहीं करने का आरोप लगाया. दिल्ली जल बोर्ड का कहना था कि दिल्ली देश की राजधानी है और पानी की आपूर्ति पड़ोसी राज्य से ही होगी. ये कोई बंधक देश नहीं है जिसे अपनी जरूरत का पानी नहीं दिया जाए.
सुनवाई के दौरान हरियाणा का कहना था कि वो दिल्ली को 719 क्यूसेक की बजाय रोजाना 1049 क्यूसेक पानी दे रहा है.
कोर्ट ने कमेटी को दिया निर्देश
कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया है कि वो ये बताए कि दिल्ली को पूरा पानी नहीं मिलने में कहां-कहां गड़बड़ियां हैं. क्या हरियाणा जान बूझकर दिल्ली को पानी नहीं दे रहा है? कोर्ट ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल आम लोगों को पानी दिलाना है. कोर्ट ने 2014 में हरियाणा को दिल्ली को पर्याप्त पानी देने के आदेश दिए थे.
हरियाणा सरकार ने दिल्ली पर लगाया था आरोप
पिछले 19 मार्च को हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में लीकेज होने की वजह से करीब 300 क्यूसेक पानी बर्बाद हो जाता है. हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली वजीराबाद रिजर्वायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो कि पानी की बर्बादी है. इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है. हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 % हिस्सा बर्बाद हो जाता है, जिसका मतलब है कि करीब 300 क्यूसेक पानी बर्बाद हो रहा है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी. जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों- सचिवों की बैठकें प्रस्तावित थी.
दिल्ली सरकार की इस दलील का हरियाणा ने विरोध किया और कहा कि दोनों राज्यों के बीच जल विवाद केवल अपर यमुना रिवर बोर्ड से ही सुलझाया जा सकता है. हरियाणा सरकार ने बताया कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली सरकार ने 12 मई 1994 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री के समक्ष हस्ताक्षर कर पानी के अपने हिस्से पर सहमति जताई थी. उस एग्रीमेंट में इन राज्यों ने कहा है कि पानी के बंटवारे को अपर यमुना रिवर बोर्ड सुलझाएगी.
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को दिया था निर्देश
पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें. दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील दायन कृष्णन और सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि जिस चैनल के जरिये यमुना में पानी आता है उसे हरियाणा ने ब्लॉक कर दिया है जिससे वजीराबाद रिजरवायर में अमोनिया का स्तर 2.2 पीपीएम तक पहुंच गया है. दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में पानी का उत्पादन 30 से 40 पर्सेंट तक कम हो गया है. दूसरे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर भी दबाव बढ़ रहा है.
दिल्ली जल बोर्ड ने याचिका में कहा है कि डीडी-8 चैनल, दिल्ली सब ब्रांच कैनाल (डीएसबीसी) और मुनक नहर से यमुना में पानी डलता है ताकि वजीराबाद रिजरवेयर में हमेशा पानी भरा रहे, लेकिन हरियाणा की ओर से बाधाएं खड़ी करने की वजह से यमुना में पानी की सप्लाई कम हो गई है और प्रदूषण बढ़ गया है.
याचिका मे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है जिसके मुताबिक दिल्ली में पीने के पानी की जरूरतों के लिए वजीराबाद रिजवायर को हमेशा भरा रखना है. याचिका में कहा गया है कि अगर पानी के लिए तत्काल दिशानिर्देश जारी नहीं किये गए तो लुटियंस जोन समेत सेंट्रल दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है.