नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण देने के एक मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की वैधानिक जमानत की मांग वाली याचिका पर सोमवार को आदेश सुरक्षित रख लिया. कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने दलीलें सुनीं और मामले को 25 सितंबर को आदेश सुनाने के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
शरजील इमाम पर दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने 2020 में सीएए के तहत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दंगा भड़काने के आरोप में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. बाद में पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 के तहत भी मामला दर्ज कर लिया था.
जमानत याचिका का विरोधः सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान शरजील की ओर से दलील दी गई कि यूएपीए के तहत अधिकतम सात साल की सजा में से आधी सजा काट चुके हैं. वह 28 जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद है. इसलिए उसे जमानत मिलनी चाहिए. इमाम के वकील के इस दावे का दिल्ली पुलिस ने विरोध करते हुए कहा कि सिर्फ एक अपराध नहीं था, बल्कि कई अपराध थे.