नई दिल्लीःकहते हैं, 'जहां चाह है, वहां राह है और इस कहावत को सही साबित कर दिखाया है दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल थान सिंह ने. दरअसल, अपने ड्यूटी का निर्वहन करते हुए भी वे दूसरों के लिए प्रेरणा देने का एक ऐसा काम कर रहे हैं, जो कि आने वाले समय में एक मिशाल बन सकेगा. उन्होंने गरीब मजदूर के बच्चों को अपनी पाठशाला के जरिए जो शिक्षा देने की, जो मशाल जलाई है. निश्चित रूप से इससे उन बच्चों का भविष्य न सिर्फ संवेरेगा बल्कि उज्ज्वल भी होगा
दिल्ली के लाल किला ग्राउंड पार्किंग में पुलिस हेड कांस्टेबल थान सिंह द्वारा 2015 से स्कूली बच्चों के लिए पाठशाला चलाई जा रही है. इसमें इलाके के आसपास के मजदूर वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. खास बात यह है कि यह बच्चे आसपास के दिहाड़ी मजदूर वर्ग के बच्चे हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. ऐसे समय में दिल्ली पुलिस के होनहार जवान मानसिंह एक मसीहा बनकर सामने आए और आज इनका भविष्य सवारने का कार्य कर रहे हैं.
पूरा माजरा यह है कि शुरुआती दौर में थान सिंह लाल किला में बतौर सिपाही तैनात थे. एक दिन ड्यूटी के दौरान उनकी नजर लाल किला के सुनहरी मस्जिद पार्किंग में कुछ छोटे-छोटे बच्चों पर पड़ी जो कूड़ा कबाड़ा बीनने का कार्य कर रहे थे. इस घटना को देखकर वे अंदर से व्यथित हो गए और बच्चों से स्नेह भरा व्यवहार दिखाते हुए उनके माता-पिता से संपर्क किया. उन्होंने बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया. बमुश्किल बच्चों के मां-बाप थान सिंह पर भरोसा कर कर पाए और उन्हें शिक्षा के लिए उनके पास भेजने को राजी हुए.
प्रारंभ में थान सिंह ने 4 बच्चों को लेकर पढ़ाई का सिलसिला शुरू किया. धीरे-धीरे और बच्चों का आना उनकी पाठशाला में शुरू हो गया. आलम यह कि आज यह कारवां बढ़कर 80 तक हो हो गया है. आज यह बच्चे पढ़ाई के दम पर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हो रहे हैं. अभी पिछले दिनों स्कूलों के रिजल्ट आए तो उसमें थान सिंह के पाठशाला के 7 बच्चों का रिजल्ट 75 परसेंट से ज्यादा आया. इसी से यह बात साबित होता है, अगर मौका मिले तो गरीब का बच्चा भी किसी से कम नहीं हो सकता है. थान सिंह के पाठशाला के बच्चों के रिजल्ट से अभिभावकों सहित तमाम जगह पर चर्चा का विषय बना हुआ है.
थान सिंह की पाठशाला में कैसे होती है पढ़ाई?
हेड कांस्टेबल थान सिंह ने बताया कि मेरे लिए दिल्ली पुलिस की नौकरी भी बेहद खास है, लेकिन बच्चों का भविष्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है. इसी को ध्यान में रखते हुए माता सुंदरी कॉलेज की आधा दर्जन वॉलिंटियर जोकि ग्रेजुएशन से ओपन की पढ़ाई कर रही हैं. छात्राएं स्वेच्छा से इन बच्चों को पढ़ाने में लगी हुई हैं. उन्हें यह कार्य करते हुए बहुत ही आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होती है. एक टीचर विदुषी ने बताया कि वह माता सुंदरी कॉलेज में हिस्ट्री हॉनर की सेकंड ईयर की छात्रा है, तो वहीं दूसरी प्रभा झा जोकि मैथ्स हॉनर में सेकंड ईयर की छात्रा है. वो भी यहां पर आकर बच्चों को पढ़ाती हैं. टीचरों ने बातचीत में बताया की यह पुण्य का काम कैसी किस्मत वाले को है मिलता है.