नई दिल्ली:देश आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और सरकार इसे अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है लेकिन दिल्ली के स्लम बस्तियों में रहने वाले बच्चों ने इस मौके को बेहद अलग अंदाज में मनाया और पूरे देश को एक संदेश दिया. NGO और संस्था की सहायता से स्लम बस्ती में रहने वाले बच्चों ने आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर पिंजरे में कैद 75 पक्षियों को आज़ाद किया.
दिल्ली के शाहबाद डेरी इलाके में रहने वाले बच्चे खुद मुफलिसी की ज़िन्दगी के बीच कैद हैं, उन्हें कैद में रहने का दर्द मालूम है. इसलिए देश के स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर उन्होंने पिंजरे में कैद 75 पक्षियों को आज़ाद कर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है. ऐसा करने में इनकी मदद की, अभावग्रस्त बच्चों के बीच काम करने वाले NGO सुभाषिका बाल विकास केंद्र और इन बच्चों को आज़ादी के मायने समझाने के लिये दिल्ली के ये दो युवा बिजनेसमैन सामने आए हैं. जिन्होंने इनकी आर्थिक मदद की है.
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कोरोना महामारी और लॉक डाउन के बीच कैद इन बच्चों के जीवन को जैसे एक दिन की आज़ादी मिली, जिसमें वह पेंटिंग, सिंगिंग, डांस और ऐसी कई तरह की एक्टिविटीज में हिस्सा लेते दिखे, वहीं कार्यक्रम के समापन पर इन बच्चों ने एक बड़ा संदेश हम सबको दिया-खुले गगन में आज़ाद उड़ने वाले इन पक्षियों को आज़ाद ही रहने दो इन्हें पिंजरे में कैद न करो.
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इतना ही नहीं, कंपनी ने निर्णय किया है कि वह इन बच्चों की शिक्षा उनके पोषण और विकास के लिये इस तरह के कार्यक्रम आगे भी करते रहें. वे चाहते हैं कि अपने रेवेन्यू या प्रॉफिट का एक हिस्सा इन जरूरतमंद बच्चों के बीच खर्च करें. ऑनलाइन रेस्टोरेंट कांसेप्ट और क्लाउड किचन चेन मॉडल को पहली बार भारत में इंट्रोड्यूस करने वाली कंपनी 'द रोलिंग प्लेट' की यह पहल इन बच्चों के बीच आज़ादी के वर्षगांठ पर ढेरों खुशियां, उपहार और मुस्कान लेकर आई, उम्मीद है आगे भी यह कायम रहे.
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर पूरे देश में बड़े-बड़े और भव्य कार्यक्रमों का आयोजन न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि राज्य सरकारें भी करवा रही हैं लेकिन सामाजिक रूप से पिछड़े इन बच्चों के लिए कोई विशेष कार्यक्रम नहीं है. ऐसे में इन संस्थाओं द्वारा बच्चों के लिए उठाये गये कदम वाकई सराहनीय हैं.