नई दिल्ली: कोरोना के चलते व्यापार पर भयंकर मंदी की मार पड़ी है.कृषि के बाद सरकारों को सबसे ज्यादा राजस्व टेक्सटाइल और कपड़ा व्यापार के क्षेत्र से मिलता है.लेकिन कोरोना की वजह से टेक्सटाइल और कपड़ा व्यापार भी इन दिनों आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है.यहां तक की कपड़ा व्यापार से जुड़े व्यापारी अपने कर्मचारियों का वेतन और दुकान का किराया तक नहीं निकाल पा रहे हैं.साथ ही कोरोना के चलते बाजार में पैदा हुई मंदी की वजह से कपड़ा व्यापारियों को मजबूरन कर्मचारियों की संख्या को कम करना पड़ा है.
कोरोना की मार से कपड़ा व्यापारी परेशान फेस्टिवल सीजन से कपड़ा व्यापारियों को कितनी उम्मीद
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कपड़ा व्यापारियों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल व्यापार बहुत कम है.हालांकि फेस्टिवल सीजन की शुरुआत हो चुकी है.लेकिन उसके बावजूद भी ग्राहकों ने अभी तक उतनी संख्या में बाजार का रुख नहीं किया है.जितना व्यापारियों को उम्मीद थी.पिछले साल के मुकाबले में 40 फ़ीसदी ग्राहक ही इस वर्ष बाजार में है. वही अभी भी त्योहारी सीजन में काफी समय बाकी है.जिसके चलते व्यापारियों को उम्मीद है कि नवंबर के अंत तक ग्राहकों का बाजार की तरफ रुख बढ़ेगा और व्यापार में तेजी आएगी.
कोरोना की मार से कपड़ा व्यापारी परेशान ग्राहकों की संख्या में आई गिरावट
कपड़ा व्यापारियों ने आगे बातचीत के दौरान कहा कि ग्राहकों का बाजार में फुट फॉल इस वर्ष पिछले वर्षों के मुकाबले में 40 फ़ीसदी है.जबकि व्यापारी इस वर्ष नया स्टॉक लाने से थोड़ा बच भी रहे हैं. सिर्फ शादियों के सीजन को ध्यान में रखते हुए थोड़ा-बहुत नया स्टॉक ही व्यापारी अपने अपने हिसाब से मंगा रहे हैं.
केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से नहीं मिली मदद
कपड़ा व्यापारियों ने बातचीत के दौरान अपनी परेशानियों को जाहिर करते हुए बताया कि कोरोना के इस आपातकालीन समय में केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार किसी से भी कपड़ा व्यापार के क्षेत्र में व्यापारियों को किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है.जबकि कपड़ा व्यापार के क्षेत्र से सरकारों को सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है.
कोरोना की मार से कपड़ा व्यापारी परेशान बहरहाल कुल मिलाकर देखा जाए तो कोरोना के इस काल में व्यापार के ऊपर काफी बुरा असर पड़ा है. कोरोना की वजह से लगभग 50% लोगों की नौकरियां तक चली गई है. चांदनी चौक के क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मंडी है. यहां लगभग 27,000 कपड़ा व्यापारी अपना व्यापार करते हैं और पूरे देश के कपड़ा व्यापारियों का नेतृत्व करते है. त्योहारों के सीजन में उम्मीद है कि ग्राहको का बाजार में आना बढ़ेगा. जिससे व्यापार में सुधार होगा. लेकिन फिलहाल अगले साल मार्च तक कपड़ा व्यापार के हालातों में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है.