नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंहकी जमानत याचिका खारिज कर दी. स्पेशल जज एमके नागपाल ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया संजय सिंह मनी लॉड्रिंग मामले में सीधे-सीधे या परोक्ष रूप से शामिल हो सकते हैं. जो तथ्य रिकॉर्ड पर रखे गए हैं उससे कोर्ट को ये मानने के लिए पर्याप्त है कि वह मनी लॉड्रिंग के दोषी हैं.
कोर्ट ने 49 पेजों के आदेश में कहा है कि जमानत के लिए रखे गए आधार से वो संतुष्ट नहीं है, इसलिए जमानत खारिज की जाती है. कोर्ट ने संजय सिंह की ओर से की गई इस दलील को खारिज कर दिया कि सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में सिंह का नाम नहीं था. कोर्ट ने कहा कि अगर एफआईआर में नाम नहीं है और अगर कोई आरोपी एफआईआर में नाम दर्ज होने के बावजूद अगर बरी भी हो जाता है तो उसे मनी लॉड्रिंग कानून से छूट नहीं मिल सकती.
कोर्ट ने कहा कि संजय सिंह को उनके पीए रह चुके सर्वेश मिश्रा के जरिए सरकारी गवाह बन चुके दिनेश अरोड़ा ने दो करोड़ रुपये पहुंचाए. दिनेश अरोड़ा ने इस संबंध में 14 अगस्त को अपने बयान में इस बात की स्वीकारोक्ति की थी. अपने बयान में दिनेश अरोड़ा ने पैसे देने की विस्तृत जानकारी दी थी. इसके अलावा गवाह अल्फा (छद्म नाम) ने भी दिनेश अरोड़ा के बयान की पुष्टि की थी. कोर्ट ने 12 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
ED ने किया था जमानत का विरोधः ED ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि दो करोड़ का लेनदेन दो किश्तों में किया गया. यह लेनदेन संजय सिंह के घर पर हुआ. इसकी पुष्टि दिनेश अरोड़ा ने की थी. कोर्ट में ED ने कहा कि सर्वेश को सजंय सिंह के घर पर पैसा दिया गया, जो सांसद का कर्मचारी है. उनके खिलाफ कैश ट्रांजेक्शन, कॉल रिकॉर्ड समेत अन्य साक्ष्य है. जांच एजेंसी ने मामले में गवाह का नाम गुप्त रखने के लिहाजा से अल्फा नाम लेते हुए कहा कि अल्फा ने बताया है कि उसने अभिषेक बोइनपल्ली से चार करोड़ लिए और एक करोड़ संजय सिंह को दिया. शुरुआत में उसने कुछ नाम का खुलासा नहीं किया.