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वेबसाइट से नंबर लेकर लोन देने के नाम पर ठगी करने वाला गिरफ्तार

नोएडा पुलिस ने वेबसाइट से फोन नंबर निकलकर और बैंक कर्मचारी बनकर लोगों को लोन दिलाने के बहाने ठग करने वाले दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी 2015 से इसी प्रकार से लोगों से ठगी कर रहें हैं और सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं. पुलिस ने इनके कब्जे से विभिन्न बैंकों के 5 आई-कार्ड व 19 आधार कार्ड बरामद किए हैं.

जस्टडॉयल से नंबर लेकर लोन देने के नाम पर ठगी करने वाले गिरफ्तार
जस्टडॉयल से नंबर लेकर लोन देने के नाम पर ठगी करने वाले गिरफ्तार

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Published : Nov 3, 2022, 10:50 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा:नोएडा पुलिस ने दो ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जो वेबसाइट से नंबर लेकर लोगों को लोन देने के नाम पर ठगने का काम किया करते थे. पुलिस ने दोनों आरोपियों को थाना क्षेत्र के सेक्टर 28 के पास से गिरफ्तार किया है.

पूछताछ में सामने आया कि दोनों आरोपी करीब 2015 से ठगी का कारोबार कर रहे हैं और अब तक सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं. वहीं, थाने पर इनके विरुद्ध करीब 2 दर्जन से अधिक शिकायतें आ चुकी है. पुलिस ने इनके बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया है.

यह दोनों, नागरिकों को लोन दिलाने के नाम पर फर्जी बैंक कर्मचारी बनकर फोन करते थे. फिर नकली बैंक कर्मचारी बनकर उनसे मैजिक पेन से हस्ताक्षर कर बैंक से रुपये निकाल लेते थे. आरोपियों की पहचान गाजियाबाद निवासी अमित त्यागी और मेरठ निवासी आदिल के रूप में हुई है. इन्हें डिवोन मार्किट सेक्टर 28 से गिरफ्तार किया गया है. इनके कब्जे से विभिन्न बैंकों के 5 आई-कार्ड व 19 आधार कार्ड बरामद हुए हैं.

लोन देने के नाम पर ठगी करने वाले गिरफ्तार

एडिशनल डीसीपी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि पूछताछ पर गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि हम दोनों जस्टडॉयल से नम्बर निकालकर लोगों को लोन दिलाने को कहते हैं. कुछ लोग हमारे झांसे में आ जाते हैं तो हम दोनों बैंक के एम्प्लाय बनकर उनके घर जाकर लोन से सम्बन्धित कागजात लेते हैं, जिसमें तीन कैंसिल चेक भी लेते हैं. वह सारे पेपर लेकर आ जाता है तो हम लोग उन पर साइन कराते हैं. साइन कराते समय हम लोग चालाकी से एक खाली चेक को निकाल लेते हैं. उसे कैंसिल नहीं करवाते हैं और अन्य चेक को कैंसिल कराकर ले लेते हैं.

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उसके बाद बिना कैंसिल वाले चैक में अमाउंट भरकर व फर्जी साइन बनाकर बैंक से रकम निकाल लेते हैं. बरामद आधार कार्डों से ये नये-नये सिम खरीदते हैं और काम पूरा हो जाने के बाद उन्हें तोड़कर फेंक देते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि वह बैंक के फर्जी आई-कार्ड लगा कर जाते हैं, ताकि लोगों को शक न हो.

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