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हिंदूराव हॉस्पिटल के हेल्थ वर्करों को मिला एम्स के डॉक्टरों का साथ, जल्द सैलरी भुगतान की मांग - Hindurao Hospital Delhi

उत्तरी दिल्ली के हिंदूराव और कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल के डॉक्टरों और अन्य स्टाफ को पिछले चार महीने से सैलरी नहीं मिली है. जिससे नाराज डॉक्टरों ने थाली पीटकर अपना विरोध दर्ज कराया है.

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हिंदूराव हॉस्पिटल के हेल्थ वर्करों को मिला एम्स के डॉक्टरों का साथ

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Published : Oct 15, 2020, 10:01 AM IST

नई दिल्ली।उत्तरी दिल्ली के हिंदूराव और कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल के डॉक्टरों और अन्य स्टाफ को पिछले चार महीने से सैलरी नहीं मिली है. जिसके चलते डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज करने के बजाय थाली पीटकर अपना विरोध दर्ज कराया. इन डाक्टरों के समर्थन में भी अब एम्स के डॉक्टर भी आगे आए हैं. उन्होंने संबंधित विभाग से तत्काल सैलरी जारी करने के निर्देश दिए हैं.

हिंदूराव हॉस्पिटल के हेल्थ वर्करों को मिला एम्स के डॉक्टरों का साथ
वापस लिया गया कोविड स्टेटस

नॉर्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन द्वारा संचालित हिंदूराव और कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल के हेल्थ वर्कर्स पिछले 4 महीने की सैलरी की मांग को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं. लेकिन अभी तक उन्हें सैलरी नहीं दी गई है. जिसके चलते उन्हें विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार करना पड़ा है. वहीं मामला गर्माते देख दिल्ली सरकार ने एक दिन पहले ही हिंदू राव हॉस्पिटल के कोविड स्टेटस को वापस ले लिया है. यहां के कोरोना मरीजों को दिल्ली सरकार के हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया है.

सैलरी मिलेगी तभी सम्मान बचेगा

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि जब 24 मार्च को लॉक डाउन लगाया गया था, उस दिन कोरोना वारियर्स के सम्मान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश भर के लोगों ने ताली, थाली और घंटी बजाकर उनका सम्मान किया था. लेकिन 4 महीने से उन्हीं कोरोना वारियर्स को सैलरी नहीं दी गई है. जिनके दम पर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ा जा रहा है. ताली और थाली पीटने से हमें सम्मान नहीं मिलेगा, हमें हमारी सैलरी मिलेगी तो हम अपने सम्मान को बरकरार रख पाएंगे.

एम्स के डॉक्टरों का समर्थन

एम्स के डॉक्टरों ने भी हिंदू राव हॉस्पिटल और कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल के डॉक्टर और हेल्थकेयर का नैतिक समर्थन किया है. एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह ने कहा कि 185 देशों में कोरोना मरीज का प्रकोप है, लेकिन दुख की बात यह है कि भारत के डॉक्टरों को अपनी जान को जोखिम में डालकर कोरोना के मरीजों का इलाज करने के बावजूद उन्हें 4 महीने से सैलरी नहीं दी गई है. जबकि ये डॉक्टर 15 से 30 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं.

चुप्पी साधे बैठे जिम्मेदार

डॉ. अमरिन्दर ने बताया कि दोनों अस्पतालों के डॉक्टर और दूसरे हेल्थ केयर वर्कर को चार महीने से सैलरी नहीं दी गई है. नेता और अधिकारी सैलरी को लेकर आश्वासन देने के लिए भी सामने नहीं आना चाहते. डॉक्टरों ने अपना ध्यान खींचने के लिए सबसे पहले 2 घंटे के लिए पेन डाउन स्ट्राइक किया. उसके बाद इमरजेंसी सेवा बंद की. इसके बावजूद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया. जिसके चलते पिछले 1 हफ्ते से प्रोटेस्ट किया जा रहा है. अब तो थाली पीटकर अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.


सैलरी पर सियासत

दिल्ली सरकार यह कह रही है कि अगर भारत सरकार इन 2 अस्पतालों को दिल्ली सरकार के अधीन कर दें तो इन अस्पतालों का संचालन वह कर लेगी, सैलरी की समस्या फिर किसी को नहीं आएगी. लेकिन यह तो सियासी चाल हो गई. डॉक्टर क्यों दो सरकारों की सियासत में पिसे? डॉक्टर अमरिन्दर ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि अगर डॉक्टरों को सैलरी नहीं दी जाएगी तो उनका परिवार कैसे चलेगा? उनके बच्चों के स्कूल की फीस कैसे भरे जाएंगे ? उनके रोजमर्रा की जरूरतें कैसे पेूरी होगी? चाहे दिल्ली सरकार करे या एमसीडी करे सैलरी का भुगतान जल्द से जल्द होनी चाहिए.

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