नई दिल्ली:भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निकली अदालत जाने के लिए कहा है. कानून के जानकारों का मानना है कि पहलवानों के पास अब दोबारा सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प नहीं है. अब उन्हें निचली अदालत ही जाना होगा. पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट से बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी वह मांग पूरी हो गई है.
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सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता जूही अरोड़ा ने बताया कि एक बार एफआईआर दर्ज हो गई है तो अब आगे की जांच भी होगी. कानून के मुताबिक अब पुलिस मामले की जांच करेगी और 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करेगी. उन्होंने बताया कि हर मामले में यह जरूरी नहीं है कि पूछताछ के लिए तुरंत गिरफ्तारी की जाए. यह इस बात पर निर्भर करता है कि मुकदमा किन धाराओं में दर्ज है. जिन धाराओं में 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है उनमें तुरंत गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है. एडवोकेट जूही अरोड़ा ने बताया कि ऐसे मामलों में पुलिस आरोपी और पीड़ित पक्ष से पूछताछ कर तथ्य जुटाती है और उसके आधार पर आरोप पत्र दाखिल करती है. इस मामले में भी पुलिस को यही प्रक्रिया अपनानी होगी. ट्रायल कोर्ट में तय होगा कि उन पर किन आरोपों मुकदमा चले.
गौरतलब है कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. पहलवान बृजभूषण को कुश्ती संघ से हटाने और उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. अब पहलवानों का आरोप है कि दिल्ली पुलिस जान-बूझकर सांसद को गिरफ्तार नहीं कर रही है. सरकार के प्रभाव में आकर उनको बचाया जा रहा है. जंतर मंतर पर पहलवानों के समर्थन में अब राजनीतिक दल भी पहुंचने लगे हैं और मामला राजनीतिक रंग लेता हुआ नजर आ रहा है.
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