नई दिल्ली:नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है. वह इस लोग में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. इनकी पूजा से सभी रोग, भय आदि दूर हो जाते है. मां कात्यायनी की कृपा से शादी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और बृहस्पति शादी के योग भी बनते हैं. इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है.
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला होता है. माता सिंह पर विराजमान रहती हैं, उनकी चार भुजाएं हैं. मां अपनी एक हाथ अभय मुद्रा, दूसरा हाथ वर मुद्रा, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत दयालु और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है.
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मां कात्यायनी की पूजाविधि: नवरात्रि के छठे दिन सबसे पहले कलश की पूजन करें. इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां कत्यायनी की पूजा करें. पूजा विधि की बात करें तो पूजन के लिए पहले मां का ध्यान करते हुए एक फूल हाथ में लें. मां को फूल अर्पित करने के बाद मां को कुमकुम, अक्षत, फूल आदि चढ़ाने के बाद सोलह श्रृंगार का समान चढ़ाएं. इसके बाद मां को शहद का भोग लगाएं. इसके बाद जल अर्पित करें और दीपक-धूप जलाकर मां के मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही दुर्गा चालीसा का पाठ भी जरूर करें.
मां कात्यायनी का आराधना मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।