नई दिल्ली:मैं मजदूर हूं, मजबूर नहीं. यह कहने में मुझे शर्म नहीं अपने पसीने की खाता हूं मैं मिट्टी को सोना बनाता हूं. किसी भी देश या बड़ी से बड़ी कंपनी के विकास के पीछे उसके लिए दिन-रात पसीना बहा रहे मजदूरों का हाथ होता है. इन्हीं मजदूरों का सम्मान करते हुए 1 मई को श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है.
मजदूर दिवस राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. बता दें कि इसकी शुरुआत अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 में हुई थी. वहीं भारत में लेबर किसान पार्टी द्वारा 1 मई 1923 में इसकी शुरुआत हुई थी.
मजदूर दिवस को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजीव रे ने बताया कि 1886 के करीब जब अमेरिका के शिकागो में लाखों मजदूरों ने इकट्ठा होकर हड़ताल की थी. मज़दूरों की मांग थी कि वे प्रतिदिन 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे. राजीव रे ने बताया कि सभी मज़दूर अपनी मांगों को लेकर सफेद झंडा लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और प्रदर्शन के दौरान ही शिकागो की हेय मार्किट में बम विस्फोट हो गया था जिसके चलते पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसायीं थीं. गोलियां चलने से कई मज़दूर मारे गए थे और सैकड़ों मज़दूर घायल हुए थे. इन मज़दूरों के खून से सफेद झंडे लाल हो गए थे. उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है जिसके चलते मज़दूर दिवस पर लाल झंडे लगाए जाते हैं.