नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) शुक्रवार को अपनी स्थापना का 75वां साल माना रहा है. इस बार की थीम है 'हेल्थ फॉर ऑल'. सात अप्रैल पूरी दुनिया में विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसके मद्देनजर राजधानी दिल्ली में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन(डीएमए), इंडियन मेडिकल कांग्रेस (आईएमसी) आदि जैसे प्रमुख डॉक्टर संगठनों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसके तहत डॉक्टरों की समस्याओं, उनके साथ होने वाली हिंसा, उनकी सुरक्षा के लिए सरकार से अलग से बिल लाने की की मांग के साथ ही दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर भी चर्चा होगी.
अगर दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो राजधानी दिल्ली भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्वास्थ सुविधाओं के मानकों से कोसों दूर है. इंडियन मेडिकल कांग्रेस के अध्यक्ष डा. प्रेम अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में प्रति हजार व्यक्तियों पर करीब 2.89 बेड हैं, जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक प्रति हजार लोगों पर पांच बेड का है. मतलब एक हजार लोगों पर तीन बेड का आंकड़ा भी दिल्ली पूरा नहीं करती. बताया कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं पूरी नहीं हैं जबकि प्राइवेट अस्पताल महंगे हैं. इनमें इलाज कराना हर किसी के वश की बात नहीं है.
हालांकि, दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिम्मेदार सरकारी निकाय केंद्र, राज्य सरकार और नगर निगम स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने का दावा करते रहते हैं. दिल्ली की केजरीवाल सरकार आंकड़ों के साथ दावा करती है कि उसने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में अपने आठ साल के कार्यकाल में पहले की सारी सरकारों से ज्यादा काम किया है.