नई दिल्ली:अगस्त के पहले दिन से मनाया जाने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह आज दुनिया के 170 देशों में मनाया जाता है. हर साल इसे बेहद ही खास सप्ताह के तौर पर मनाया जाता है. इस सप्ताह का मकसद लोगों को स्तनपान के प्रति जागरूक करना है. इस अभियान में पूरी दुनिया हिस्सा लेती है और ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जागरुकता फैलाने का काम करती है. आज के इस खास दिन पर हम जानेंगे कि आखिर स्तनपान क्यों जरूरी है, इसके फायदे क्या हैं, कितने दिनों के लिए मां को स्तनपान कराना चाहिए और यह अभियान की शुरूआत क्यों और कैसे हुई. स्तनपान के लिए सुरक्षा, प्रोत्साहन और सहयोग प्रदान करना इस अभियान का मुख्य लक्ष्य है. ETV Bharat ने बातचीत में नेशनल एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन चाइल्ड हेल्थ की नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. अचला बत्रा ने स्तनपान से जुड़ी कई अहम बातें साझा की.
कितने महीनों तक स्तनपान कराना जरूरी?:बच्चे को दूध पिलाना मां और बच्चे दोनों के लिए अनूठा अनुभव है. डॉ. बत्रा ने बताया कि डिलीवरी के शुरुआती 6 महीने तक बच्चे को केवल मां का दूध पिलाना चाहिए. मां के दूध में बच्चे को कैल्शियम, विटामिन और बाकि सभी न्यूट्रिशन मिल जाते हैं. इसके अलावा स्तनपान कराने से बच्चे के शरीर में एन्टीबॉडीस का विकास होता है, जो बच्चे को कई बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है. डिलीवरी के तुरंत बाद मां के स्तन में निकलने वाला गाढ़ा पीला चिकना दूध नवजात को जरूर पिलाना चाहिए, इससे बच्चे की इम्युनिटी पावर बढ़ती है. मां के स्तन से निकलने वाली पहली दूध की बूंद में वो सारे पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चे की इम्युनिटी को जीवनभर स्ट्रांग बना कर रखते हैं.
कैसे कराएं स्तनपानःडॉ. अचला ने बताया कि स्तनपान करते समय हमेशा बच्चे का सिर उसके बाकी शरीर से ऊंचा होना चाहिए. आरामदायक कुर्सी या कुशन के सहारे बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए. इससे मां रिलेक्स रहेंगी और असहज महसूस नहीं करेंगी. कई नई मां अपने बच्चे को लेट कर भी दूध पिलाती है, लेकिन यह सुरक्षित नहीं है. इससे कभी कभी बच्चे के सांस की नली में दूध अटकने का खतरा होता है. खुद बैठ कर स्तनपान करना ज्यादा सुविधा जनक और सुरक्षित है.
बच्चे की भूख का कैसे हो एहसास?:जब महिला पहली बार मां बनती हैं, वह इस बात का अनुमान नहीं लगा पाती हैं कि बच्चे को कब स्तनपान कराना है. अगर बच्चा गीला नहीं है और फिर भी रो रहा है, तो उसको तुरंत स्तनपान कराना चाहिए. डिलीवरी के शुरुआती 6 हफ्ते तक बच्चा जब रोये तब स्तनपान करवाना चाहिए. डिलीवरी के शुरुआती हफ़्तों में बच्चे की डिमांड के अनुरूप फीडिंग करनी चाहिए, इसे डिमांड फीडिंग कहते हैं. इस समय बच्चे के लिए फीडिंग का कोई भी समय निर्धारित नहीं होता. इसके अलावा नई मांओं को सबसे अधिक स्तनपान कराने के तरीके को समझने की जरूरत होती है.