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कोरोनाकाल में कामगार महिलाओं पर डबल ड्यूटी का बोझ, बढ़ रहीं शारीरिक और मानसिक समस्याएं

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Published : Jun 25, 2021, 9:23 PM IST

लॉकडाउन में अधिकतर लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, लेकिन इस लॉकडाउन में कामगार महिलाओं पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है. ऑफिस के काम के साथ-साथ महिलाओं पर घर के काम का बोझ भी बढ़ गया है और उनका रूटीन पूरी तरीके से चेंज हो गयी है. जिसका असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है.

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लॉकडाउन में कामगार महिलाओं की डबल ड्यूटी

नई दिल्ली:कोरोनाकाल में अधिकतर लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, लेकिन इस लॉकडाउन ने महिलाओं पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा दिया है. ऑफिस के काम के साथ-साथ महिलाओं पर घर के काम का बोझ भी बढ़ गया है और उनका रूटीन पूरी तरीके से चेंज हो गया है. जिसका असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है, लॉकडाउन में महिलाएं किस तरीके से घर और ऑफिस दोनों का काम मैनेज कर रही है, क्या कुछ समस्याएं आ रही हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने अलग-अलग महिलाओं से बात की, जो work-from-home के साथ अपने घर को भी संभाल रही हैं.

तड़के सुबह से देर रात तक खत्म नहीं होता काम
पेशे से एक टीचर स्वाति ने बताया कि सुबह 6 बजे दिन शुरू होता है और रात के 12 या 1 बज जाते हैं. सबसे पहले वह सुबह 7:45 से बच्चों की क्लासेस लेना शुरू करती हैं और 12 बजे तक ऑनलाइन क्लास चलती रहती है. ऐसे में उनके परिवार के सभी सदस्यों के लिए नाश्ता बनाना और दूसरे काम भी वह बीच-बीच में ब्रेक के दौरान करती रहती हैं. स्वाति ने बताया कि लॉकडाउन से पहले सुबह स्कूल पढ़ाने के लिए जाती थीं और दोपहर 2 बजे स्कूल से वापस आ जाती थी. जिसके बाद वह अपने घर परिवार के साथ समय बिता पाती थी और अपना अन्य काम कर पाती थी लेकिन लॉकडाउन के कारण वर्क फ्रॉम होम में पूरा दिन स्कूल का काम ही चलता रहता है और घर का काम भी करना पड़ता है.

लॉकडाउन में कामगार महिलाओं पर डबल ड्यूटी का बोझ


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ऑनलाइन क्लासे में देना पड़ रहा पूरा समय
सुरभि शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन से पहले सुबह उठकर सबसे पहले बच्चों को स्कूल भेजना होता था. जिसके बाद 2 बजे तक घर का काम करके फ्री हो जाते थे, लेकिन अब सुबह उठते ही बच्चों का नाश्ता बनाना होता है और उसके साथ-साथ बच्चों की ऑनलाइन क्लास में भी उनके साथ बैठना पड़ता है. क्योंकि बड़े बच्चे ऑनलाइन क्लास ले लेते हैं, लेकिन छोटे बच्चों के साथ 3 घंटे तक ऑनलाइन क्लास में बैठे रहना पड़ता है. सुरभि अपने दो बच्चों, पति और सास-ससुर के साथ रहती हैं और सभी सदस्यों के लिए खाना बनाने से लेकर घर का सारा काम उन्हें ही करना पड़ता है. जिसके चलते कई बार शारीरिक थकावट के साथ मानसिक थकावट भी बढ़ जाती है.

शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रही महिलाएं
वहीं 8 साल के बेटे की मां गीता ने बताया कि लॉकडाउन में महिलाओं की डबल ड्यूटी हो गई है, घर के काम के साथ-साथ बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस के लिए भी उन्हें प्रॉपर ड्यूटी करनी पड़ रही है. बच्चे की जितनी देर तक ऑनलाइन क्लास होती है, उतनी देर तक उन्हें उसके साथ बैठना होता है. क्योंकि छोटे बच्चे आसानी से ऑनलाइन क्लास नहीं ले पाते. इसके अलावा उन्होंने बताया कि उनके पति का वर्क फ्रॉम होम है, ऐसे में सब लोग घर पर ही रहते हैं और दिन भर कुछ ना कुछ काम करना पड़ता है. खुद के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं. कई बार सिर में दर्द, कमर में दर्द और स्पाइन का प्रॉब्लम हो जाता है.

क्या है महिला रोग विशेषज्ञ की सलाह

महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ध्वनि मागो ने बताया लॉकडाउन के कारण महिलाएं कई ऐसी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही हैं, जो उनके लिए परेशानी बनती जा रही है. जरूरी है कि यदि कोई भी शारीरिक परेशानी महिलाओं को होती है तो वह तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं और उसकी सलाह लें. डॉक्टर ध्वनि ने बताया क्योंकि लॉकडाउन के कारण वर्क फ्रॉम होम कर रही महिलाओं में पोस्टर और वजन बढ़ने जैसी परेशानियां आ रही हैं, जिसको लेकर खाता ध्यान रखने की आवश्यकता है.

डॉक्टर मागो ने बताया कि जो महिलाएं घर पर वर्क फ्रॉम होम कर रही हैं, वह इस दौरान सीधे होकर बैठें. बैठने के लिए ऐसी जगह चुने जहां स्पाइन सीधी रहे. इसके साथ ही हर 6 महीने में अपना चेकअप करवाते रहें, साथ ही काम के दौरान बीच में थोड़ी थोड़ी देर के लिए उठ कर वॉक करें. सबसे ज्यादा जरूरी अपने खानपान का खास तौर पर ध्यान रखें.

डॉ ने बताया कि तली हुई चीजें ना खाएं, पौष्टिक खाने का ही सेवन करें इसके साथ ही महिलाएं घर पर हैं. जिसके चलते उनका वजन भी बढ़ रहा है, इसके लिए जरूरी है कि एक्सरसाइज और योगा करें और जो मानसिक तनाव है, उससे बचने के लिए मेडिटेशन करना भी आवश्यक है.

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