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वर्क फ्रॉम होम से गड़बड़ाई दिनचर्या, किसी का बढ़ रहा वजन तो किसी को करना पड़ रहा ज्यादा काम

कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में लोग वर्क फ्रॉम होम (Work from home) करने लगे थे. वहीं शुरू में तो लोग इसे इंजॉय कर रहे थे, लेकिन अब बोर होने लगे हैं. साथ ही व्यक्तिगत जीवन पर भी असर पड़ रहा है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने वर्क फ्रॉम कर रहे लोगों से बात की.

work from home messed up routine
वर्क फ्रॉम होम से गड़बड़ाई दिनचर्या

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Published : Jul 12, 2021, 7:16 AM IST

नई दिल्लीःकोरोना काल में घर पर रहकर काम करना एक आम बात बन गई है. लॉकडाउन की वजह लोग वर्क फ्रॉम होम (Work from home) कर रहे हैं, लेकिन जहां शुरुआत में लोग इसे इंजॉय कर रहे थे. वहीं अब घर पर रहते-रहते और रोजाना एक ही जैसी चीजें करते-करते बोर होने लगे हैं. साथ ही वर्क फ्रॉम होम का असर लोगों के व्यक्तिगत जीवन पर भी पड़ रहा है. पिछले 2 सालों से वर्क फ्रॉम होम कर रहे लोगों के जीवन में कुछ बदलाव आया है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने अलग-अलग लोगों से बात की.

पिछले 2 सालों से वर्क फ्रॉम होम कर रहे संतोष ने बताया कि वह एक क्रिएटिव फील्ड में काम करते हैं और कोरोना की शुरुआत से ही वह घर पर रहकर काम कर रहे हैं. हालांकि इसके चलते उनके ऊपर शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी बदलाव आया है. कई बार पूरा दिन घर पर काम करते-करते मानसिक तनाव हो जाता है. लगातार कई महीनों से एक जैसा रूटीन फॉलो कर रहे हैं, जिसके चलते वजन भी बढ़ गया है और लोगों से मिलना-जुलना भी कम हो गया है.

वर्क फ्रॉम होम से गड़बड़ाई दिनचर्या

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अंकित शर्मा ने बताया कि वह एक आईटी कंपनी में काम करते हैं और पिछले डेढ़ साल से वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. धीरे-धीरे अनलॉक हो जाने के बाद भी वह घर से रहकर ही काम कर रहे हैं, क्योंकि शायद कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम से फायदा हो रहा है. शुरुआत में हमें भी घर पर रहकर काम करना अच्छा लग रहा था, लेकिन अब हमारा पूरा टाइम टेबल गड़बड़ा गया है, शारीरिक गतिविधियां कम हो गई है, जहां ऑफिस में 8 से 9 घंटे की शिफ्ट में काम करना होता था, लेकिन घर में 9 से 10 घंटे की शिफ्ट भी हो जाती है.

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वर्क फ्रॉम होम के कारण खाने पीने का टाइम भी बदल गया है. जब ऑफिस जाते थे तो लंच टाइम में लंच करते थे और ब्रेकफास्ट भी टाइम से हो जाता था. सुबह उठकर टाइम से तैयार होकर ऑफिस चले जाते थे, लेकिन अब यह रूटीन फॉलो नहीं हो पा रहा है. जहां वर्क फ्रॉम के चलते कुछ नकारात्मक असर देखने को मिले हैं, वहीं कुछ महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम फायदेमंद भी साबित हुआ है. पिछले डेढ़ साल से वर्क फ्रॉम होम कर रही गुंजन शर्मा ने कहा कि उनका 6 साल का बेटा है और वर्क फ्रॉम होम के चलते वह अपने बच्चे को समय दे पा रही है.

गुंजन शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया जब ऑफिस जाना होता था, तो वह सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम करती थी. पति और बच्चे के लिए ब्रेकफास्ट बनाती थी और उसके बाद ऑफिस जाती थी, जिसके बाद घर आकर घर का काम भी करना होता था. लेकिन अब वह वर्क फ्रॉम होम के दौरान बीच-बीच में घर का काम भी कर लेती है. हालांकि शारीरिक गतिविधियां कम हो गई है. दोस्तों और अपने कलिग से मिलना भी खत्म हो गया है. केवल ऑनलाइन या फोन कॉल के जरिए ही उनसे बातचीत हो पाती है.

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