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आदि महोत्सव में आइए और झारखंड की लाख की चूड़ियां पहन लीजिए, जानिए क्यों प्रसिद्ध है यह चूड़ियां

पीएम मोदी ने गुरुवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 16 फरवरी से 27 फरवरी तक चलने वाले इस आदि महोत्सव का शुभांरभ किया है. यहां पर झारखंड की महिला कलाकार भी लाख की चूड़ियां बेचने पहुंची है. आइए जानते हैं कि यह चूड़ियां महिलाओं के बीच क्यों अधिक फेमस है.

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Published : Feb 16, 2023, 9:09 PM IST

आदि महोत्सव में लाख की चूड़ियां बनाती झारखंड की महिलाएं.

नई दिल्ली:अक्सर आपने सुहागिन महिलाओं के हाथों में रंग बिरंगी चूड़ियां देखी होगी, लेकिन उनके हाथों में लाख की चूड़ियां विशेष तौर पर होती हैं. इसके पीछे कई मान्यता और कहानियां प्रचलित हैं. बहरहाल, आज हम आपको झारखंड के इन महिला कलाकार से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपनी प्रदेश की इस पुरानी कला को आज भी जीवित रखते हुए महिलाओं के लिए लाख की चूड़ियां बना रही हैं. खास बात है कि 5 मिनट के भीतर लाख की एक चूड़ी तैयार की जा रही है.

यदि आप महिला हैं और लाख की चूड़ी पहनना और खरीदना चाहती हैं तो आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है. बस आपको कुछ समय निकालकर आदि महोत्सव में आना है. पीएम मोदी ने गुरुवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 16 फरवरी से 27 फरवरी तक चलने वाले इस आदि महोत्सव का शुभांरभ किया. इसके बाद से आम लोगों के लिए महोत्सव शुरू हो गया है. यहां आने के लिए प्रवेश निशुल्क है.

झारखंड की महिलाएं बना रही लाख की चूड़ियां

लाख की चूड़ियां कैसे तैयार होती है जानिएःईटीवी भारत से बातचीत के दौरान झारखंड रांची के खुटी से आई निर्मला खाल खो ने बताया कि लाख की चूड़ियां बनाने का काम वह अपने प्रदेश में करती हैं. उनके साथ दो अन्य महिलाएं भी इस आदि महोत्सव में लाख की चूड़ियां लेकर आई हैं. उन्होंने बताया कि छठ पूजा, दीवाली और अन्य बड़े हिंदू त्योहार के दिन महिलाएं खास तौर पर लाख की चूड़ियां पहनती हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए लाख की चूड़ियां धारण करती हैं. हम अपने प्रदेश की इस पारंपरिक कला को जीवित और लोगों तक इसे पहुंचाने के लिए कई रंग बिरंगी लाख की चूड़ियां लेकर आई हैं. इस दौरान गर्म कोयले पर चूड़ी को पकाया गया और इसके बाद पॉलिश भी किया गया. उन्होंने लाख की चूड़ी बनाने की प्रक्रिया बताई.

16 फरवरी से 27 फरवरी तक आदि महोत्सव का आयोजन

उन्होंने कहा कि बेर और कुसुम के पेड़ में लाह की खेती होती. जहां से हम खरीदते हैं उसको फिर छीलते हैं. इसके बाद मशीन में क्रश करते हैं, धुलाई करते हैं. इसके बाद इसके बटन बनाए जाते हैं. फिर गाभा जाता है और फिर कलर लगाकर गर्म आंच पर पकाया जाता है. इसके बाद हमारे द्वारा तैयार किए गए प्राकृतिक रंग को इस पर उकेरा जाता है. उन्होंने बताया कि एक बैंगल बनाने में कम से कम 5 मिनट का समय लगता है.

100 रुपए में दो बैंगलःकलाकार निर्मला ने बताया कि आज कई सारे ऑर्डर प्राप्त हुए हैं. उनका स्टॉल बन 213 हैं. जहां 100 रुपए में लाख की दो चूड़ियां बिक्री के लिए रखी गई हैं. उन्होंने बताया कि वह इस महोत्सव में प्रतिदिन लाइव मोड में लाख की चूड़ी बनाकर लोगों को इससे रूबरू कराएंगी. वह चूड़ी बनाने के लिए रॉ मैटेरियल झारखंड से लेकर आई हैं.

पीएम मोदी ने किया आदि महोत्सव का शुभारंभ

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महोत्सव में इन प्रदेशों के व्यंजन भी हैं शामिलःआदि महोत्सव में छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, गुवाहाटी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और असम की पारंपरिक जनजातीय व्यंजन भी परोसे जाएंगे.

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