नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास में हुए निर्माण (रिनोवेशन) में गड़बड़ियों के संबंध में सीबीआई ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है. सीबीआई ने इस संबंध में लोक निर्माण विभाग समेत अन्य विभाग प्रमुखों को निर्माण से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा है. हालांकि, सीबीआई ने अभी किसी के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज नहीं किया है. अगर प्राथमिक जांच में आरोपों की सत्यता से संबंधित कोई ठोस सबूत मिलता है तो इस मामले में केस दर्ज कर मामले की जांच आगे बढ़ाई जाएगी.
कांग्रेस नेता अजय माकन की प्रतिक्रियाः सीबीआई द्वारा शुरू की गई प्रारंभिक जांच पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन का कहना है कि सबसे पहले उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था. उपराज्यपाल से पूरे मामले की जांच की मांग की थी. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग पर दबाव बनाकर अपने बंगले में न केवल सौंदर्यीकरण कराया बल्कि भवन उपनियम का जिस तरह पालन नहीं हुआ है, यह बंगला पूरी तरह से अवैध निर्माण है.
45 करोड़ से अधिक किया गया है खर्चःसीबीआई जांच पर दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव उमेश सहगल का कहना है कि निर्माण से संबंधित दस्तावेज पिछले दिनों ही सार्वजनिक हो गए थे. उसमें कहा गया है कि जिस घर में वे रहते हैं, वह 70-80 साल पुराना है. जबकि, ऐसा है ही नहीं. सहगल का कहना है कि 1970 के आसपास इस घर का निर्माण हुआ था और यह घर दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी को रहने के लिए बनाया गया था. अब जितने क्षेत्रफल में यह बंगला है, उसमें 45 करोड़ ही नहीं कहीं अधिक पैसे खर्च हुए होंगे.
"मेरे खिलाफ 33 मामले दर्ज हैं. किसी में कुछ नहीं निकला है. इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा.मैं चौथी पास राजा को एक चैलेंज देना चाहता हूं जिस तरह पिछली जांच में कुछ नहीं निकला क्या इस बार भी जांच में कुछ नहीं निकलेगा तो इस्तीफा दोगे."