नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने वाले मामले में सीएम केजरीवाल की पोल उनके ही मंत्री ने खोल दी है.
नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि पिछले 27 नवंबर को इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया था. सरकार से सवाल पूछा था कि वह जानकारी सार्वजनिक करें कि पिछले 4 सालों में दिल्ली की मतदाता सूची में कितने मतदाताओं के नाम जुड़े हैं और कितने काटे गए हैं.
18 लाख से ज्यादा नाम जुड़े
बुधवार यानी 27 फरवरी को जब नेता विपक्ष ने इस बाबत मंत्री इमरान हुसैन से जानकारी मांगी तो उन्होंने जो रिपोर्ट दिए उसमें कहा गया कि गत 4 सालों में 10 लाख 65 हजार के करीब मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. जबकि इस दौरान 18 लाख 85 हजार के करीब नए मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं.
'सदन में घिरे केजरीवाल'
अपने ही मंत्री के द्वारा दी गई जानकारी के बाद वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के आरोप पर केजरीवाल खुद सदन में घिर गए. सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक अनिल वाजपेयी ने सवाल पूछा कि जातिगत आधार पर कितने वोटरों के नाम काटे गए.
'जातिगत आधार पर डाटा नहीं'
मंत्री इमरान हुसैन ने साफ कहा कि जातिगत आधार पर चुनाव आयोग कोई डाटा नहीं रखती है. इससे यह भी साफ हो गया कि मुख्यमंत्री ने जो पूर्वांचल और बनिया वोटरों के बारे में कहा था कि उनके नाम बीजेपी के इशारे पर कटवाए गए यह गलत साबित हो गया.
वोटरों के नाम काटने का आरोप
विधानसभा के अंदर कार्यवाही के बाद नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने के मसले पर राजनीति काफी गर्म है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अलग-अलग जनसभाओं में चुनाव आयोग और बीजेपी पर वोटरों के नाम काटने का आरोप लगाते रहे.