नई दिल्लीःसनातन धर्म में चुतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है. शुक्रवार (4 अगस्त 2023) को अधिक मास की चतुर्थी तिथि है. इसे बिवुभन संकष्टी चतुर्थी कहते है. अधिक मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखना बेहद फलदाई बताया गया है. अधिक मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य बढ़ता है. कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. बिवुभन संकष्टी चतुर्थी को लेकर मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन की सभी संकट कट जाते हैं. जीवन में स्थिरता और संपन्नता आती है.
पुरुषोत्तम मास यानी कि अधिक मास हर तीन साल में एक बार आता है. इसलिए अधिक मास में पड़ने वाली बिवुभन संकष्टी चतुर्थी तीन साल में एक बार आती है. ऐसे में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. यही वजह है कि विभिन्न संकष्टी चतुर्थी के व्रत को दुर्लभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं. बिवुभन संकष्टी चतुर्थी के व्रत को रखने से राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. साथ ही कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है.
पूजा विधि: बिवुभन संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान करें और साफ सुथरे पहने. स्नान के दौरान कि गंगा जल युक्त पानी का इस्तेमाल करें. पूजा से पहले मंदिर की सफाई करें. मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें. भगवान गणेश की प्रतिमा या फिर तस्वीर को पंचामृत से स्नान कराएं. भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा और इस दौरान ॐ गणेशाय नमः या ओम गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें. पूजन के बाद भगवान गणेश को मिठाई, मोदक या लड्डू का भोग लगाए. गणपति को चंदन और दूर्वा अर्पित करें. अंत में भगवान गणेश की आरती करें.
बिवुभन संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
- बिवुभन संकष्टी चतुर्थी प्रारंभ: 04 अगस्त (शुक्रवार) दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से शुरू.
- बिवुभन संकष्टी चतुर्थी समाप्त: 05 अगस्त (शनिवार), सुबह 09:49 पर समाप्त.
- बिवुभन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 04 अगस्त (शुक्रवार) को रखा जाएगा.