हवा में घुले जहर को कम करने के लिए एंटी स्मॉग गन नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की हवा लगातार जहरीली हो रही है. दिन-प्रतिदिन हवा पहले से ज्यादा प्रदूषित होती जा रही है. जिसके मद्देनजर दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल होने लगा है.
दिवाली से पहले ही दिल्ली का प्रदूषण दुनिया में नंबर एक पर पहुँच गया है, तो आने वाले दिनों में हालात और भी बिगड़ेंगे. प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों को कई तरह की स्वास्थ संबंधित बीमारियों को सामना करना पड़ रहा है. वहीं अस्थमा और सांस के मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ती ही जा रही है. सरकार के सभी प्रयास बेदम साबित हो रहे हैं. ऐसे में सभी विकल्प तलाश रहे हैं. IIT कानपुर ने तो आर्टिफिशियल बारिश की सलाह तक दे डाली है. बारिश कराने में अभी काफी चैलेंजेस हैं लेकिन राज्य सरकार इसके विकल्प के तौर जगह-जगह एंटी स्मोक गन का इस्तेमाल कर रही है ताकि बिगड़ती स्थिति पर कुछ हद तक काबू पाया जा सके.
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क्यों किया जाता है इस मशीन का प्रयोग
पॉल्यूशन वाले तमाम शहरों में आपने सड़कों पर एक मशीन देखी होगी, जो पानी का छिड़काव करती है. इस मशीन को एंटी स्मॉग गन कहा जाता है, जो हवा में जहर को कम करने का काम करती है. एनडीएमसी एरिया में स्थित दिल्ली के महादेव रोड पर स्मॉग गन के जरिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है. स्मोक गन पेड़-पौधों पर पानी का छिड़काव कर रही है. काफी स्पीड में यह गन चलाई जा रही है जिससे कि पेड़ पौधों पर जमी धूल को साफ किया जा सके. इस एंटी स्मॉग गन से हवा में मौजूद धूल के कणों को नीचे लाया जाता है. जिससे हवा में प्रदूषण का लेवल कम हो जाता है.
नेबुलाइज्ड पानी की बारीक बूंदों का हवा में छिड़काव: एंटी स्मॉग गन एक तरह से एक मशीन है, जो नेबुलाइज्ड पानी की बारीक बूंदों का हवा में छिड़काव करती है. इसे पानी के टैंक से जोड़ा जाता है और हाई-प्रेशर प्रोपेलर के जरिए 50 से 100 माइक्रोन की छोटी बूंदों को हवा में फेंका जाता है. इससे धूल और प्रदूषण के कण अवशोषित होने लगते हैं.
कैसे काम करती है यह मशीन जानिए
एंटी स्मॉग स्मॉग गन में हाई स्पीड पंखा लगा होता है. इस मशीन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इन्हें ऑन करने के बाद पंखे की मदद से पानी की बौछार हवा में की जाती है. यह मशीनें करीब 150 फीट की ऊंचाई से लेकर 100 मीटर लंबाई तक पानी की बौछार कर प्रदूषण को कम कर सकती हैं. इन मशीनों से 2.5 माइक्रोन तक के खतरनाक कणों को भी कम किया जा सकता है.
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