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Published : Mar 26, 2023, 2:31 PM IST

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Delhi Zoo : चिड़ियाघर में जल्द सीता के शावक देख पाएंगे पर्यटक, जानिए कौन है सीता

राजधानी दिल्ली के चिड़ियाघर पर्यटकों जल्द ही दो शावक देखने को मिलेंगे. दरअसल चिड़ियाघर प्रसासन ने दोनों शावकों को बाड़ों में छोड़ने का फैसला लिया है. इसको लेकर जू प्रशासन काफी उत्साहित नजर आ रहा है.

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दिल्ली का चिड़ियाघर

नई दिल्ली: दिल्ली जू आने वाले पर्यटक अब दो नए बाघ देख पाएंगे. जिनकी शिकायत रहती थी कि दिल्ली जू में बड़े प्रजाति के वन्यजीव देखने को नहीं मिलते हैं. उनकी यह शिकायत अप्रैल माह से दूर होने वाली है. दरअसल, दिल्ली जू प्रशासन सीता (सफेद बाघिन) के दो शावक को बाड़े में रिलीज करने की योजना बना रहा है. अगर सबकुछ ठीक रहा था इन दोनों शावक को अप्रैल माह में बाड़े में रिलीज किया जाएगा.

दोनों शावक का जन्म साल 2022 में दिल्ली जू में हुआ था. हालांकि, तब से लेकर अब तक यह अपना क्वारंटाइन समय पूरा कर रहे थे. अब इनका क्वारंटाइन पूरा हो गया है तो इन्हें बाड़े में छोड़ दिया जाएगा. बाड़े में छोड़ने से पहले बीते दिनों दोनों का वैक्सीनेशन भी किया गया था. वैसे तो उन्हें पहले ही बाड़ों में छोड़ देना चाहिए था, लेकिन ठंड की वजह से उन्हें नहीं छोड़ा गया था. अब जल्द दर्शक उनका दीदार कर सकेंगे. प्रशासन भी उन्हें लेकर काफी खूश है, क्योंकि यह चिड़ियाघर के लिए खास समय होता है.

जू के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वैक्सीनेशन के बाद कुछ दिन तक रोजाना इन दोनों शावको को बाड़े में घुमाया जाएगा. उन्हें जंगल की आदत डाली जाएगी. जिससे वह जंगल में रहने के आदि हो सके. इस दौरान इन पर जू कीपर की नजर रहेगी, साथ ही बाड़े में लगे सीसीटीवी की मदद से निगरानी भी होगी.

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चिड़ियाघर में मौजूदा समय में कुल छह सफेद बाघ हैं. इसमें चार सफेद बाघ समेत दो शावक हैं. जिसमें टीपू व विजय नर सफेद बाघ हैं, तो वहीं बरखा व सीता मादा सफेद बाघिन हैं. इसके अलावा चार बंगाल टाइगर भी हैं. ​इनमें एक नर और तीन मादा हैं. सीता सफेद बाघिन है, जो जू में विजय (सफेद बाघ) और कल्पना (सफेद बाघिन) की बेटी है. सीता का जन्म दिल्ली जू में ही हुआ है. साल 2022 में सीता ने तीन शावक को जन्म दिया था. जिसमें से एक की मौत इस साल हार्ट फेल होने से हुई है. बाकी दो स्वस्थ है और जल्द ही इन्हें बाड़े में रिलीज किया जाएगा.

14 साल होता है जीवन काल

जू अधिकारियों के अनुसार, वाइल्ड में बाघों का जीवन काल कम से कम 12 वर्ष और ज्यादा से ज्यादा 14 वर्ष होता है. हालांकि, जू में कई ऐसे बाघ भी हुए हैं जो 16 वर्ष तक जिए. इसके पीछे जू अधिकारियों का तर्क है कि अगर बाघों का खानपान ठीक से किया जाए तो यह कम से कम 20 साल तक जी सकते हैं. हालांकि, अगर ऐसा होता है तो यह एक रिकॉर्ड भी होगा. अधिकारियों के अनुसार, बाघों के खाने के लिए रोजाना 200 किलो ताजा मीट लाया जाता है. सुबह के वक्त सभी के पिंजरे में यह मीट जू कीपर द्वारा परोसा जाता है. मीट खाने के बाद उन्हें नहलाया जाता है. इसके बाद पिंजरा खोला जाता है, जिसके बाद वह अपने बाड़े में टहलते हैं.

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