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ऐतिहासिक स्मारक खुलने के बाद भी पड़े हैं सूने, पर्यटकों की संख्या में भारी कमी

दिल्ली में मौजूद खैरुल मनाज़िल या खैर-उल-मनाज़िल एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसे 1561 में मुगल बादशाह अकबर ने बनवाया था. पहले मस्जिद में काफी तादाद में पर्यटक पहुंचते थे लेकिन इन दिनों पर्यटकों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है.

Khair-ul-Manazil Mosque
खैर-उल-मनाज़िल मस्जिद

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Published : Jul 15, 2020, 8:10 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना के प्रकोप के बीच 6 जुलाई से देश भर में ऐतिहासिक स्मारकों को खोल दिया गया है. राजधानी दिल्ली में भी कई ऐतिहासिक स्मारक को और मस्जिदों को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. लेकिन खुलने के एक हफ्ते के बाद भी यह स्मारक सूने पड़े हुए हैं. बहुत कम संख्या में पर्यटक उनके दीदार के लिए पहुंच रहे हैं.

खैर-उल-मनाज़िल मस्जिद खुलने के बाद भी पर्यटकों की संख्या में भारी कमी

ऐतिहासिक मस्जिद में नहीं पहुंच रहे नमाजी

दिल्ली में ऐतिहासिक मस्जिदों में से एक खैर-उल मनाज़िल मस्जिद जहां लॉकडाउन से पहले सैकड़ों की संख्या में लोग ना सिर्फ नमाज पढ़ने बल्कि इस ऐतिहासिक मस्जिद के दीदार के लिए भी पहुंचते थे. लेकिन अब यह मस्जिद सूनी पड़ी है. इस मस्जिद के इतिहास की बात करें तो 16वीं शताब्दी में इस मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में कराया गया था. इसके साथ ही इस मस्जिद के अंदर मौजूद 400 साल से ज्यादा पुराना कुआं मुख्य आकर्षण का केंद्र है. जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.



रोजाना सैकड़ों की संख्या में पहुंचते थे पर्यटक

मस्जिद में मौजूद सुरक्षाकर्मी कृष्णा ने बताया कि रोजाना बड़ी संख्या में लोग इस मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए आया करते थे लेकिन अब 1 दिन में 50 या 100 लोग ही नमाज पढ़ने के लिए आ रहे हैं. वहीं पहले 400 से 500 रोजाना लोग इस मस्जिद में नमाज पढ़ने और इसका दीदार करने के लिए पहुंचते थे. इसके साथ ही अब मस्जिद में प्रवेश से पहले सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक सोशल डिस्टेंस का पालन करवाने के लिए गोले बनाए गए हैं और लोगों के हाथों को सेनेटाइज करवा कर ही उन्हें अंदर जाने दिया जा रहा है.

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