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उन्नाव रेप के आर्म्स एक्ट मामले में आरोपपत्र पर फैसला सुरक्षित

उन्नाव रेप कांड की पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट के झूठे केस में फंसाए जाने से जुड़े मामले में कोर्ट ने आरोप तय करने को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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Published : Aug 8, 2019, 10:01 PM IST

Updated : Aug 8, 2019, 11:19 PM IST

उन्नाव रेप के आर्म्स एक्ट का मामला etv bharat

नई दिल्ली: उन्नाव रेप कांड से जुड़े एक मामले में आज दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आरोप तय करने को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है. यह मामला पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट के झूठे केस में फंसाए जाने से जुड़ा है.

उन्नाव रेप के आर्म्स एक्ट का मामला

इस मामले में आज डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट ने सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट पर आरोपियों, सीबीआई और पीड़िता पक्ष की ओर से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

आत्मदाह की कोशिश के बाद दर्ज हुआ था मामला
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि जांच में पाया गया कि पीड़िता और उसके परिवार वालों ने घटना की रिपोर्ट लिखवानी चाही लेकिन आरोपी विधायक के प्रभाव की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाईं लेकिन उस पर कार्रवाई तब की गई जब 7 अप्रैल 2018 को पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की.

3 अप्रैल 2018 को उसके पिता को आरोपी विधायक के भाई ने बुरी तरह पीटा. सीबीआई ने कहा कि जांच में ये भी पाया गया कि स्थानीय थाने की पुलिस और अधिकारियों ने इसकी शिकायतों पर कोई गौर नहीं किया और लापरवाही बरती.

'पॉक्सो एक्ट के तहत तय हो आरोप'
पिछले 7 अगस्त को आरोपी विधायक के खिलाफ रेप के मामले में सीबीआई की ओर से दायर आरोपपत्र पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. कोर्ट ने आरोपपत्र पर आगे की दलीलें सुनने के लिए 9 अगस्त की तिथि तय की है. 9 अगस्त को कोर्ट ने मीडिया को निर्देश दिया था कि वो पीड़ितों, परिजनों और गवाहों के नामों का खुलासा न करें.

सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि आरोपी पर रेप के आरोप बिल्कुल सही हैं. सीबीआई और पीड़िता की मां की ओर से वकील धर्मेन्द्र कुमार मिश्रा और पूनम कौशिक ने कहा कि आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप तय होना चाहिए.

परिजनों के ठहरने के बारे में मांगी थी रिपोर्ट
पिछले 6 अगस्त को कोर्ट ने सीबीआई से उन्नाव रेप मामले की पीड़िता, उसकी देखभाल करनेवालों और उसके परिजनों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी थी. कोर्ट ने उत्तरप्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया था कि वो गवाहों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. कोर्ट ने पीड़िता को दिल्ली शिफ्ट करने के बाद उसके परिजनों के ठहरने के बारे में भी रिपोर्ट मांगी थी.

'क्या कोर्ट को इस केस को सुनने का अधिकार है'
पिछले 5 अगस्त को कोर्ट ने आरोपियों कुलदीप सिंह सेंगर और शशि सिंह को आज दोबारा पेश करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने दोनों आरोपियों को तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया. 5 अगस्त को जब दोनों को कोर्ट में पेश किया गया था, तो डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा ने आरोपियों के वकील को आरोप पत्र पर बहस करने को कहा था. इस पर आरोपियों की ओर से कहा गया था कि क्या कोर्ट को इस केस को सुनने का अधिकार है.

Last Updated : Aug 8, 2019, 11:19 PM IST

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