नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली मस्जिदों के मौलवियों को मासिक वेतन दिए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट में (Delhi High Court) एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में दिल्ली सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह मौलवियों की तरह मंदिरों के पुजारियों को भी मासिक वेतन दे. कोर्ट से दिल्ली वक्फ बोर्ड को दिए जाने वाली धनराशि को रोकने का निर्देश दिए जाने की भी मांग की गई है. यह जनहित याचिका अधिवक्ता गार्गी खन्ना और प्रेरणा सिंह की ओर से दाखिल की गई है.
संविधान के प्रावधानों का हो रहा उल्लंघन :जनहित याचिका में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से संविधान के अनुच्छेद 14 और 27 का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है. दिल्ली सरकार दिल्लीवासियों की करोड़ों रुपयों की गाढ़ी कमाई से मस्जिदों के इमाम और मौलवियों की वेतन दे रही है, दूसरी तरफ मंदिरों के पुजारियों को एक रुपये भी वेतन नहीं मिल रहा है. यह सीधा-सीधा संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. भारतीय संविधान, किसी भी सरकार के लिए चाहे वह केंद्र सरकार हो या चाहे राज्य सरकार हो, दोनों के लिए धर्मनिरपेक्ष ढंग से काम करने और विचारों को संतुलित रखने के लिए शासन आदेश और दिशा निर्देशित करता है.