नई दिल्ली:देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह वह दिन है जब तमाम छात्र अपने शिक्षकों को धन्यवाद देते हैं. उन्हें याद करते हैं, लेकिन पिछले 2 सालों से कोरोना काल ने शिक्षक दिवस पर भी असर डाला है. शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव आया है. इस बदलाव को शिक्षक कैसे देखते हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर मनोज कुमार कैन से खास बातचीत की.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के पीजीडीएवी कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर मनोज कुमार कैन ने बताया कोरोना ने गुरु शिक्षा पर जरूर असर डाला है जहां पहले गुरु, शिक्षक स्कूलों और कॉलेजों में आमने-सामने बैठकर छात्रों को पढ़ाते थे. वह नजारा पिछले 2 सालों से देखने को नहीं मिल रहा है, लेकिन इससे गुरु और शिष्यों के संबंधों में कोई बदलाव नहीं आया है. शिक्षक अभी भी समर्पित होकर अपने छात्रों को पढ़ा रहे हैं.
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ऑनलाइन माध्यम से शिक्षक और छात्र जुड़ रहे हैं यह एक आधुनिकीकरण है और अगर देखा जाए तो जहां पहले आमने-सामने जब शिक्षक छात्रों को पढ़ाते थे तो कुछ सीमित समय के लिए ही शिक्षक छात्रों को पढ़ाते थे. लेकिन ऑनलाइन और फोन के जरिए अब दिन भर छात्र और शिक्षक एक दूसरे से कनेक्ट हो सकते हैं. छात्र कभी भी शिक्षक से कोई भी सवाल या अपनी परेशानी साझा कर सकता है यानी कि इस बदलाव में छात्र और शिक्षक के रिश्ते को और मजबूत किया है. एक दोस्त की तरह छात्र फोन और अन्य सोशल मीडिया माध्यम के जरिए अपने शिक्षकों से जुड़ रहे हैं.
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