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दिल्ली इलेक्शन 2020: '...पार्टियां क्यों नहीं देती अधिक महिलाओं को टिकट?'

महिला सशक्तिकरण को लेकर काम करने वाली महिला शिल्पी अरोड़ा कहना था हर एक चुनाव में देश की आधी आबादी महिलाओं को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता है. शिल्पी अरोड़ा का कहना था कि आखिरकार समझ नहीं आता क्यों राजनीतिक पार्टियां संसद में आरक्षण बिल पास होने का इंतजार कर रही है

Use of women is like a vote bank - Shilpi Arora
महिलाओं का वोट बैंक की तरह होता है इस्तेमाल-शिल्पी अरोड़ा

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Published : Feb 5, 2020, 7:44 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव के कुल 668 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें करीब 80 महिला उम्मीदवार हैं. तमाम राजनीतिक पार्टियां महिला सशक्तिकरण को लेकर कई वादे करती हैं लेकिन जब महिलाओं को उनके अधिकार देने की बात आती है तो 100 फ़ीसदी में से केवल 10 फ़ीसदी तक ही महिलाओं को अधिकार दिया जाता है. इसका जीता जागता उदाहरण दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है.

महिलाओं का वोट बैंक की तरह होता है इस्तेमाल- शिल्पी अरोड़ा

इस विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख पार्टियां बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तीनों ने मिलाकर 23 महिलाओं को ही टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी ने जहां 8 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने 10 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी इसमें सबसे पीछे है क्योंकि उसने केवल 5 महिला उम्मीदवारों को ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है.

'संसद में महिला आरक्षण बिल पास होने का इंतजार'
महिला सशक्तिकरण को लेकर काम करने वाली शिल्पी अरोड़ा कहना है कि हर एक चुनाव में देश की आधी आबादी महिलाओं को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता है. शिल्पी अरोड़ा का कहना था कि आखिरकार समझ नहीं आता क्यों राजनीतिक पार्टियां संसद में आरक्षण बिल पास होने का इंतजार कर रही है, क्यों वह अपनी स्वेच्छा से इलेक्शन में महिलाओं को टिकट नहीं देती.

महिला उम्मीदवारों को दिया जा रहा समर्थन
शिल्पी अरोड़ा 'अब है मेरी बारी' नाम से इस विधानसभा चुनाव में कैंपेन चला रही हैं, और जो भी महिला उम्मीदवार किसी भी पार्टी से चुनाव में उतरी हैं वह उन्हें सपोर्ट कर रही हैं. और उसके लिए कैंपेन कर रही है शिल्पी अरोड़ा का कहना था कि हम केवल महिलाओं को समर्थन दे रहे हैं, चाहे वह किसी भी पार्टी से हो उसे वोट देने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. क्योंकि अगर सत्ता में, बड़े-बड़े पदों पर महिलाएं होंगी. तो महिलाओं के प्रति होते अपराधों में कमी आएगी, जागरूकता बढ़ेगी और समाज में एक बड़ा बदलाव आएगा.

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