नई दिल्लीः दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव लगातार टलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई आम आदमी पार्टी की याचिका पर आज उपराज्यपाल, दिल्ली सरकार, नगर निगम और पीठासीन अधिकारी को कोर्ट ने नोटिस भेजा है. मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी. बुधवार को कोर्ट में आम आदमी पार्टी ने 5 मांगे रखीं. पहला, निगम पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी के पद से हटाया जाए, दूसरा एक हफ्ते के अंदर एमसीडी का सदन बुलाया जाए, तीसरा मेयर चुनाव पूरा होने तक कोई स्थगन न हो, बाकी के चुनाव मेयर की अध्यक्षता में हो और आखिरी नामित पार्षदों को वोट देने का अधिकार न मिले, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा है.
एमसीडी के सेक्रेटरी रहे एक अधिकारी के अनुसार, 6 फरवरी को मेयर चुनाव के दौरान जो परिस्थितियां खड़ी हुई है, उसका समाधान एमसीडी एक्ट में नहीं है. दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट 1957 में चुनाव प्रक्रिया का उल्लेख तो है लेकिन कितनी बार चुनाव कराया जा सकता है, यह उल्लेख नहीं है. समस्या का समाधान सिर्फ कोर्ट से ही हो सकता है.
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बता दें कि सोमवार को एमसीडी सदन की कार्यवाही में हुए हंगामे के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि अब पार्टी मेयर चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटागी. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि बीजेपी, आम आदमी पार्टी के पार्षदों को तोड़ना चाहती है और जब तक वह इसमें सफल नहीं होगी, वे चुनाव कराना नहीं चाहते. इस वजह से वह सदन की बैठक में हंगामा करने लगते हैं. मेयर, डिप्टी मेयर चुनाव के लिए 6 जनवरी को पहली बार और फिर 24 जनवरी को दूसरी बार बैठक बुलाई गई थी, लेकिन वह दोनों बैठक भी हंगामे की भेंट चढ़ गई थी. 250 वार्डों वाले एमसीडी में आप के 135 पार्षद और बीजेपी के 104 पार्षद हैं. सुप्रीम कोर्ट में आम आदमी पार्टी की मेयर पद की प्रत्याशी शैली ओबरॉय ने याचिका दायर की है.
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