नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 30 अक्टूबर को दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों के संबंध में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश भी जारी किए कि मुकदमा छह से आठ महीने की अवधि के भीतर समाप्त हो जाए. हालांकि, अगर सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ती है तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया तीन महीने के भीतर फिर से जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कानूनी सवालों का जवाब सीमित तरीके से दिया गया है और विश्लेषण में अभी भी कुछ ऐसे पहलू हैं जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे संदिग्ध हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 338 करोड़ रुपये की बड़ी धनराशि के हस्तांतरण के संबंध में एक पहलू "अस्थायी रूप से स्थापित" है, और इसलिए जमानत याचिका खारिज करने का निर्णय लिया गया. बता दें, पीठ ने दोनों याचिकाओं पर 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
- 6 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई वाले मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की.
- 29 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी वाले मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की.
- 30 मई को हाईकोर्ट ने सीबीआई वाले मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की.
- 5 जून को हाई कोर्ट ने ईडी के केस में सिसोदिया की ओर से दाखिल 6 सप्ताह की अंतरिम जमानत याचिका खारिज की.
- 3 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी वाले केस में सिसोदिया की नियमित जमानत याचिका खारिज की.
- 6 जुलाई को सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की.
- 14 जुलाई को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी दोनों को नोटिस जारी किया.