नई दिल्ली:200 करोड़ की ठगी करने वाले शातिर जालसाज सुकेश की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. पुलिस ने उसके खिलाफ मकोका लगाने के साथ ही उसकी कथित पत्नी लीना पॉल सहित अन्य आरोपियों को भी मकोका में गिरफ्तार किया है. इनके खिलाफ अगर संगठित अपराध अदालत में साबित हुआ तो उन्हें मकोका के तहत सजा सुनाई जा सकती है. इसमें उम्रकैद तक की सजा के अलावा पांच लाख रुपये का जुर्माना उस पर लग सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि मकोका (Maharashtra Control of Organized Crime Act) कानून महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाया गया था. दिल्ली पुलिस द्वारा भी इस कानून का इस्तेमाल किया जाता है. इस अपराध में कम से कम दो लोगों का होना आवश्यक है.
अगर कोई भी संगठित तौर पर अपराध को अंजाम दे रहा है तो उसके खिलाफ मकोका के तहत एक्शन लिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए शर्त होती है कि उस अपराधी के खिलाफ पहले से दो आरोपपत्र दाखिल होने चाहिए और इस पर अदालत ने संज्ञान लिया हो. अगर यह शर्त पूरी नहीं होती तो मकोका लगाना गलत है.
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अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि मकोका बेहद सख्त कानून है. आमतौर पर आतंकवादियों एवं संगठित तौर पर अपराध करने वाले बड़े बदमाशों के खिलाफ ही इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं इस मामले में जब तक गवाहों के बयान दर्ज नहीं हो जाते तब तक आरोपी को ज़मानत नहीं मिलती. अगर गवाह ने उसके खिलाफ बयान दिया है और साक्ष्य उसके खिलाफ हैं तो उसे सजा होना तय है.
इसमें आरोपी बनाए गए शख्स को यह साबित करना पड़ता है कि वह निर्दोष है. उन्होंने बताया कि अगर ऐसे अपराध के दौरान किसी की मौत हो गई है तो दोषी को उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा दी जा सकती है. वहीं अगर किसी की मौत इस अपराध के दौरान नहीं हुई है तो यह सजा पांच साल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है.