नई दिल्ली: पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में शनिवार को पांचों दोषियों को सजा सुनाते हुए कोर्ट ने घटना को समाज के लिए गंभीर बताया. साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडेय की अदालत ने कहा कि देश में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं काम करना चाहती हैं, लेकिन असुरक्षा के चलते देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या बीते दो दशक से घट रही है.
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अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 में 32 प्रतिशत के मुकाबले 2021 में यह आंकड़ा 19 प्रतिशत पर आ गया है. महिलाओं को सबसे अधिक खतरा घर से कार्यालय जाते समय और कार्यालय से घर जाते समय दिखाई देता है. जब उन्हें उत्पीड़न और हानि पहुंचाने की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं. अदालत ने कहा कि देश की सरकारें लगातार महिलाओं के हित में योजनाएं बनाती हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं काम पर जाने वाली महिलाओं के लिए बेहद गंभीर हैं.
कोर्ट ने निर्भया कांड का भी किया जिक्र
कोर्ट ने फैसला पढ़ते हुए निर्भया कांड का भी जिक्र किया कि किस तरह काम से लौट रही निर्भया के साथ जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया था. इस घटना के बाद सरकार ने कई कानून बनाए. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, नारी शक्ति वंदन अधिनियम देश में प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाए.
कोर्ट ने घटना को दुर्लभतम ना मानते हुए मृत्युदंड नहीं दिया लेकिन, अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट ने चारों आरोपियों को मकोका और मृत्युदंड के तहत सजा का ऐलान किया है. इस दौरान सभी पर 1.25-1.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, पांचवे आरोपी अजय सेठी पर 7.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. पीड़ित परिवार को जुर्माने की राशि से करीब 12 लाख रुपये दिए जाएंगे.
इनको मिली सजा
1. रवि कपूर-आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माना (आईपीसी 302 के लिए)
आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माना (मकोका के लिए)
2. अजय कुमार -आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माना (आईपीसी 302 के लिए)