नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मानसून के दौरान यमुना का जलस्तर बढ़ने से आई बाढ़ से दिल्लीवालों का हाल बेहाल है. हजारों लोग राहत कैंप में अभी भी शरण लिए हुए हैं. करीब तीन दर्जन से अधिक रिहायशी कॉलोनियों में बाढ़ का जो पानी घुसा है, उसे निकालने का काम जारी है. यमुना के जलस्तर में भी गिरावट आनी शुरू हो गई है. लेकिन 45 साल बाद बाढ़ की जो विभीषिका दिल्लीवालों ने देखी है, ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि अगर दोबारा ऐसी बाढ़ आ गई तो दिल्ली कैसे बचेगी?
यमुना खादर से हटाना होगा अतिक्रमणःभविष्य को लेकर लोगों के मन मे उठ रहे सवालों को लेकर दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने भी साफ कहा कि यमुना खादर वाले हिस्से को जितना हो उतना खाली करना होगा. 22 किलोमीटर लंबी यमुना दिल्ली से होकर गुजरती है. इसके दोनों तरफ का जो यमुना खादर है, इस पर किसी भी तरह के निर्माण आदि की इजाजत देना अब खतरे से खाली नहीं है. इसके अलावा उन्होंने शहर के ड्रेनेज सिस्टम को भी दुरुस्त करने की बात कही है.
राजधानी के ड्रेनेज सिस्टम और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बेहतर बनाने पर संबंधित एजेंसियों को सख्ती से पालन करना होगा. बारिश का पानी अधिक मात्रा में बहते हुए जमीन के अंदर ना जाकर अभी नदी में आ रहा है, इसलिए ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करना, ग्रीन स्पेस को बढ़ाना बेहद ही जरूरी उपाय है और जल्द से जल्द इन सब पर काम करने की आवश्यकता है.
धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है जिंदगीःदिल्ली में आई बाढ़ के चलते यमुना के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों का जनजीवन सोमवार तक सामान्य हो सकता है. अधिकारियों का कहना है कि पानी का जलस्तर तेजी से कम हो रहा है. हर घंटे करीब 1 से 2 सेंटीमीटर जलस्तर में कमी आ रही है. ऐसे में अनुमान है कि सोमवार तक जलस्तर खतरे के निशान से नीचे हो जाएगा. बाढ़ प्रभावित इलाका यानी यमुना बाजार, आईटीओ, मॉनेस्ट्री, मुखर्जी नगर, मॉडल टाउन इलाके में जहां पानी भरा है, वहां रहने वालों को राहत मिल जाएगी. लेकिन पूरी तरह से राहत तभी मिलेगी, जब जलस्तर 204 मीटर तक होगा.
यमुना में अस्थायी बांध का कर रहा कामःडीडीए से सेवानिवृत्त टाउन प्लानर एके जैन यमुना नदी में गत वर्षों के दौरान बने पुलों की संख्या को जलस्तर बढ़ने का एक बड़ा कारण बताते हैं. उनका कहना है कि 22 किलोमीटर की यमुना में 29वें पुल का निर्माण हो रहा है. यहां से दूसरी सबसे बड़ी समस्या शुरू होती है. यह पुल भी नदी को बांधने का काम कर रहे हैं. यह पुल नदी के लिए अस्थाई बांध का काम करते हैं और नदी के पीछे की तरफ पानी के स्तर को बढ़ाते हैं. जो पुल बन चुके हैं उन पर शोध करने की जरूरत है और उनकी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.
ड्रेनेज सिस्टम को भी करना होगा दुरुस्त एक जैन बताते हैं कि दिल्ली में 45 साल पहले सितंबर 1978 में हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से करीब 7 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था, तब दिल्ली में जलस्तर 207 मीटर को पार किया था. उस बाढ़ को इससे पहले का सबसे बड़ा बाढ़ माना जाता था. इस बार 11 जुलाई को 3.60 लाख क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया और जो स्थिति उत्पन्न हुई है इसका बड़ी वजह यमुना में अतिक्रमण ही है. ऐसे में यमुना के अतिक्रमण को रोकने और वहां हुए अवैध निर्माण को फौरी तौर पर हटाना ही बाढ़ से बचने का उपाय है.
ये भी पढ़ेंः Delhi Flood: बाढ़ प्रभावित हर परिवार को 10 हजार देगी केजरीवाल सरकार, 18 जुलाई तक MCD के स्कूल बंद