नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) बीते दिनों लिए गए कुछ फैसलों की वजह से चर्चा में है. अब नई चर्चा स्नातक पाठ्यक्रम में अंबेडकर और गांधी को अर्थशास्त्री के तौर पर पढ़ाने को लेकर है. डीयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि बीआर अंबेडकर एक महान अर्थशास्त्री थे. वह अर्थशास्त्र के छात्र भी थे और अर्थशास्त्र के बारे में उनके कुछ विचार हैं. इसलिए हमें लगता है कि इस पर एक पेपर विकसित करना चाहिए. वहीं महात्मा गांधी के भी अर्थव्यवस्था पर कुछ विचार हैं जिन्हें हमें जोड़ना चाहिए. हालांकि अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम में इन दोनों महापुरुष को जोड़ना चाहिए या नहीं, इस पर डीयू की स्टेंडिंग कमिटी की बैठक में चर्चा होगी. इसके बाद एकेडमिक काउंसिल की बैठक में प्रस्ताव को ले जाया जाएगा. आखिर इस विचार के पीछे तर्क क्या है?
तीन पेपर को हटाने का विरोध
वीसी ने बताया कि बीते दिनों पहले अकादमिक परिषद (एसी) की बैठक हुई, जिसमें अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम में तीन वैकल्पिक पेपर- 'अर्थव्यवस्था, राज्य और समाज', 'उत्पादन संबंध और वैश्वीकरण', और 'भेदभाव का अर्थशास्त्र' को हटाने को लेकर विचार रखा गया. कुछ का तर्क था कि इन पेपर में कई समानता है. वहीं कुछ इसके पक्ष में नहीं थे. वह इन तीनों पेपर के महत्व पर अडिग थे. हमें कुछ कॉलेज के अर्थशास्त्र के संकाय द्वारा लेटर मिला है जिसमें कुछ ने कहा है कि इसे न हटाया जाए.
उन्होंने कहा कि यह मामला अकादमिक परिषद में चर्चा के लिए आया था. चूंकि अकादमिक परिषद में 110 सदस्य हैं, इसलिए मैंने पूरे मामले को देखने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की सिफारिश की. इसलिए यह तीनों पेपर वास्तव में महत्वपूर्ण हैं या नहीं यह तो मुझे नहीं पता, लेकिन समिति पूरे विषय पर गौर करेगी. कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करते हैं और फिर उस रिपोर्ट को 14 जून को अकादमिक मामलों की स्थायी समिति की बैठक में रखा जाएगा और उस मामले की सिफारिश के बाद विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद में रखा जाएगा.