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कैंपस का 'कप्तान': JNU में छात्राओं के लिए कौन-से मुद्दे रखते हैं मायने, देखिए खास रिपोर्ट

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव पर छात्राओं से उनके मुद्दे पर ईटीवी भारत की खास बातचीत.

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव पर छात्राओं खास बातचीत etv bharat

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Published : Aug 30, 2019, 12:03 PM IST

नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. जेएनयू छात्र संघ चुनाव को लेकर ईटीवी भारत ने छात्राओं से उनके मुद्दों पर खास बातचीत की. जेएनयू की छात्राओं का कहना है कि जो भी प्रत्याशी चुनाव जीतता है. उसे उन सभी समस्याओं के निदान की व्यवस्था करनी चाहिए. जिससे छात्र-छात्राएं रोजाना दो-चार होते हैं. ना कि उन्हें महज एक चुनावी मुद्दा बनाकर अगले चुनाव तक छोड़ देना चाहिए. साथ ही छात्राओं का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे उठाने से पहले जरूरी है कि कॉलेज की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाए. बता दें कि छात्राओं का मत है कि ABVP को भी अपनी कार्यशैली दिखाने का एक मौका मिलना चाहिए.

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव पर छात्राओं खास बातचीत.

'हाईजीन की समस्या का हो निदान'
चुनावी मुद्दे को लेकर जेएनयू की छात्रा प्रतिभा समेत दूसरी छात्राओं ने कहा कि उनकी नजर में जो सबसे अहम मुद्दा हॉस्टल का है. हॉस्टल में साफ-सफाई ठीक से नहीं होती. आलम यह है कि वॉशरूम तक इस्तेमाल नहीं किए जा सकते हैं. छात्रा प्रतिभा ने बताया कि मेस में जिस बर्तन में छात्र खाना खाते हैं. उन्हीं बर्तनों में बचा हुआ खाना कुत्ते-बिल्लियों को खाते देखा है. जिसे वह बंद करवाना चाहती हैं क्योंकि इसके जरिए उनकी सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है.

'SIS की क्लासेज में नहीं है सफाई'
चंदा सहित कई छात्राओं ने मुद्दा बताया स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एसआईएस) को जहां उनकी क्लासेस चलती हैं. वहां भी साफ सफाई का काम निराशाजनक ही है. वहां बुनियादी सुविधाएं जैसे कि बिजली पानी तक भी कभी-कभी मुहैया नहीं कराई जाती. जिससे छात्रों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है. यहां तक कि जहां छात्रों की कक्षा लगती है. उस कमरे की छत भी नीचे गिर गई थी लेकिन अभी तक उसमें मरम्मत का काम शुरू नहीं किया गया है. छात्रा का कहना है कि जिस उम्मीदवार को वह चुनेंगे उससे उन्हें यही उम्मीद है कि इसे महज एक चुनावी मुद्दा ना समझ कर छात्रों की समस्या समझ कर गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द उसका निदान करने की कोशिश करें.

'दिल्ली वालों को हॅास्टल मिलने में दिक्कत'
वहीं दिल्ली की छात्रा चंदा ने कहा कि दिल्ली में रहने की वजह से उन्हें हॉस्टल मिलने में बहुत सी दिक्कतें आई. उन्होंने कहा कि अक्सर दिल्ली में रहने वाले छात्रों को हॉस्टल की सुविधा जल्दी मुहैया नहीं कराई जाती और कई चक्कर काटने पर मिल भी जाए तो भी उसमें बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं होती. उन्होंने कहा कि जिन प्रत्याशियों को उम्मीदवार के तौर पर उतारा गया है. उन्होंने पूरे साल के दौरान कभी भी छात्रों को अपनी सूरत तक नहीं दिखाई और चुनाव आते ही छात्रों से कहा जा रहा है कि उन्हें वोट दिया जाए ऐसे में बिना पूरी जानकारी के किस बिनाह पर छात्र वोट दे सकते हैं.

'हेल्थ केयर सिस्टम अहम चुनावी मुद्दा'
अधिकतर छात्राओं ने हेल्थ केयर सिस्टम को अहम मुद्दा माना है. उनका कहना है कि हेल्थ केयर सिस्टम की स्थिति बहुत दयनीय है. यहां पर हर मर्ज के लिए छात्रों को केवल पेरासिटामोल दे दी जाती है. उसके अलावा किसी भी तरह की डॉक्टरी जांच या अन्य दवाईयों की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा छात्राओं का आरोप है कि अपने पूरे साल के कार्यकाल में चुने हुए प्रत्याशियों ने विरोध प्रदर्शन के अलावा और कोई भी सुधार कार्य नहीं किया है. भले वह कितने भी दावे कर ले लेकिन यह समस्याएं हर बार केवल चुनावी मुद्दा बन कर रह जाती है. साथ ही यह भी कहा कि एक बार चुनाव जीत जाने के बाद प्रत्याशी पहचानते तक नहीं.

'SL की लाइब्रेरी हमेशा 12 बजे तक खुले'
वहीं कुछ छात्राओं ने लाइब्रेरी को अहम मुद्दा बताया है. उनका कहना है कि स्कूल ऑफ़ लैंग्वेज (एसएल) की लाइब्रेरी को गत 3 महीनों से बंद रखा गया था लेकिन चुनावी माहौल होते ही यह लाइब्रेरी 12 बजे रात तक खुली रहने लग गई. अब वे चाहती हैं कि आगे भी लाइब्रेरी इसी तरह 12 बजे तक खुली रहे.

'ABVP की कार्यशैली देखने का मिले मौका'
लेफ्ट यूनिटी के जेनयू में सत्ता में आने की बात को लेकर छात्राओं का कहना है कि उन्हें अभी तक ABVP के कार्यशैली का कोई अनुभव नहीं है इसलिए सिर्फ सुनी सुनाई बातों को मानकर उन्हें चुनाव से बाहर कर देना या उन्हें मौका न देना सही नहीं होगा. उनका कहना है कि लेफ्ट यूनिटी की कार्यप्रणाली वह पिछले 50 सालों से देखते आ रहे हैं और अब वह ABVP के काम करने के तरीके को भी देखना चाहेंगे. कई छात्राएं ABVP को एक मौका देने के पक्ष में नजर आईं. उनका कहना है कि अगर यह संगठन छात्र हित में काम करता है तो बहुत अच्छी बात है और यदि नहीं तो हमेशा की तरह लेफ्ट फिर से सत्ता में आ जाएगी.

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